रिटेल ट्रेडर जब तक प्रोफेशनल ट्रेडर की तरह सोचते और काम नहीं करते, तब तक वे औरों का शिकार बनते रहेंगे। बाज़ार के घाघ उनकी लालच, अस्थिरता, अज्ञान व सहजता का फायदा उठाते रहेंगे। वैसे, प्रोफेशनल ट्रेडर बनना कोई मुश्किल नहीं है। उसी तरह जैसे साइकिल, कार या ट्रक को चलाने में शुरू में कठिनाई आती है, पर बाद में आसान हो जाता है। नियम समझें, तब मैदान में उतरें और अभ्यास करें। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

प्रोफेशनल हर बात पर उछलते नहीं। हर खबर पर प्रतिक्रिया नहीं दिखाते। वे जानते हैं कि कहां तक उनका कितना वश चलेगा। वे निर्णय लेते हैं। गेंद माफिक हुई तो ठोंकते हैं। अन्यथा, छोड़ देते हैं। दो-चार साल बाजार में रहने के बाद वे भावनाओं के वशीभूत नहीं होते। इसलिए बाज़ार कभी उनसे नहीं खेल पाता, वे बाज़ार से खेलते हैं। वे बाज़ार की ताकत जानते हैं, इसलिए उससे जबरन पंगा नहीं लेते। अब मंगलवार की दृष्टि…औरऔर भी

हाथी को महावत ही संभाल पाता है। आम इंसान पास फटक जाए तो हाथी शायद उसे रौंद डाले। शेयरों की ट्रेडिंग में मुंह उठाकर कूद पड़े रिटेल ट्रेडरों का यही हाल होता है। कहावत बन जाती है कि यहां तो 95% लोग कमा ही नहीं सकते। लेकिन प्रोफेशनल ट्रेडर इसी बाज़ार से कमाते हैं। घर-परिवार चलाने के साथ ही भरपूर मजे करते हैं। मन करने पर देश-विदेश की सैर करने निकल पड़ते हैं। अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी

इंसानी फितरत और विकास का सार यही है कि वो बदतर से बदतर सूरत का भी सकारात्मक पक्ष निकाल लेता है। नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था में आधे से ज्यादा योगदान करनेवाले छोटे उद्योगों पर बुरी मार पड़ी है। सेंसेक्स 18 दिन में 6.64% झटक गया है। लेकिन अच्छी बात यह है कि इससे बहुतेरे मजबूत शेयर नीचे आ गए हैं। हालांकि, वे थोड़ा और गिर जाते तो अच्छा होता। तथास्तु में ऐसी ही एक मजबूत कंपनी…औरऔर भी

हम अपनी सोच सही कर लें तो शेयर बाज़ार हमें कभी निराश नहीं करेगा। यहां न ट्रेडिंग और न ही लंबे निवेश में अधीरता चलती है। सीधी-सी बात है कि भयंकर डर व दुविधा की स्थिति में बाज़ार से दूर रहना चाहिए। चार दिन में बाज़ार खत्म नहीं होने जा रहा। वो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता जाएगा। याद रखें, बाज़ार तभी मूर्खों की तरह बर्ताव करने लगता है जब लोग मूर्खता में सौदे करते हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी