ट्रेडिंग करने वाले टेक्निकल एनालिसिस और चार्ट का सहारा लेते ही है। वे जानते हैं कि चार्ट में बाईं तरफ देखकर बताना कितना आसान है कि शेयर का भाव यहां से वहां क्यों गया। लेकिन असली चुनौती जो नहीं हुआ है, उसका पूर्वानुमान लगाने की है, चार्ट के दाहिने तरफ देखने की है जहां फिलहाल कोई भाव या चाल दर्ज नहीं। इसमें पिछले पैटर्न से मदद मिलती है, लेकिन अनिश्चितता खत्म नहीं होती। अब बुध की बुद्धि…औरऔर भी

जो भविष्य में होना है, उसको लेकर हम बराबर दुविधा में रहते हैं। यह एकदम स्वाभाविक है। ऊपर से कितना भी बोलें, मगर अंदर-अंदर लगता है कि ऐसा नहीं भी हो सकता। लेकिन जब वही चीज़ हो जाए तो हम कहते हैं कि मैंने तो पहले ही बोला था कि ऐसा होगा। यह एक सहज मनोविज्ञान है जिससे हवाबाज़ी चाहे जितनी कर ली जाए, लेकिन ट्रेडिंग के लिए यह घातक है। अब पकड़ते हैं मंगलवार की दृष्टि…औरऔर भी

वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग है तो संख्याओं का खेल। लेकिन कितनी विचित्र बात यह है कि यह मूलतः मनोविज्ञान का खेल है। संख्याएं बाज़ार में हर सेकंड टिकर पर दौड़ती हैं। लेकिन किन संख्याओं को पकड़कर कहां छोड़ा जाए तो हम मुनाफा कमा सकते हैं, यह बाज़ार में सक्रिय ट्रेडरों व निवेशकों के मनोविज्ञान को समझने और अपनी भावनाओं को काबू में रखने पर निर्भर करता है। यह कला अभ्यास से आती है। अब सोम का व्योम…औरऔर भी

हम जितनी ज्यादा गंभीरता से जितनी ज्यादा संभावनामय कंपनियां आपके निवेश के लिए पेश करते हैं, दूसरा कोई नहीं करता। हमारे दाम का भी कोई जोड़ नहीं। लेकिन उस निवेश को प्रतिफल में बदलना आपके जोखिम उठाने पर निर्भर करता है। कंपनियां कभी-कभी भावी गणना पर खरी नहीं उतरतीं तो उनसे निकलना भी आप पर है। बताते हैं हम, रिस्क उठाकर कमाते हैं आप। कंपनियां भी रिस्क लेकर चमकती हैं। तथास्तु में आज एक ऐसी ही कंपनी…औरऔर भी

अभी बाज़ार के जो हालात हैं, उसमें अर्थव्यवस्था या कंपनियों का फंडामेंटल कहीं तेल लेने चला गया है। अमेरिका और तमाम यूरोपीय देशों ने ब्याज दर या पूंजी की लागत को आधा प्रतिशत से कम बना रखा है। जापान ने तो ब्याज दर को ऋणात्मक बना दिया है। वहां आपको बैंक में जमाधन रखने की कीमत चुकानी होती है। लगभग मुफ्त का यही धन भारत जैसे बाज़ारों में शेयरों के पीछे पड़ा है। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी