किसी कंपनी में निवेश बनाए रखना या निकालना मजबूरी में नहीं, हमारी मर्जी से तय होना चाहिए। कभी-कभी सब कुछ देखभाल कर खरीदने के बावजूद किसी वजह से कंपनी के शेयर गिरने लगते हैं। मगर हम घाटा खाने से घबराते हैं और उससे अरसे तक इस उम्मीद में चिपके रहते हैं कि हो सकता है पलट जाए। समझदारी इसमें है कि खरीद मूल्य से 25% गिरते ही हमें उससे बेझिझक निकल लेना चाहिए। अब आज का तथास्तु…औरऔर भी

तूफान आने पर सभी भागते हैं। यह बड़ी सहज सामान्य सोच है। लेकिन जो तूफान आने से पहले सुरक्षित ठौर पकड़ लेते हैं, वही जीतते हैं क्योंकि उनकी सोच उन्नत है। अतीत से वर्तमान को परखकर जो भविष्य की आहट सुन लेते हैं, वही बाज़ार से कमाते हैं। हमेशा याद रखें कि शेयर बाज़ार में हर गिरा हुआ स्टॉक सस्ता नहीं होता, न ही हर चढ़ा हुआ स्टॉक महंगा होता है। अब करते हैं शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी