समय और उसके साथ निरतंर विकास। जीवन के तमाम क्षेत्रों की तरह निवेश में भी इन्हीं दो पक्षों का ध्यान रखना पड़ता है। चाहने से चंद दिन में पौधा पेड़ नहीं बनता। यह भी सही है कि बोया पेड़ बबूत का तो आम कहां से होए। कंपनियां अच्छी चुनो। फिर देखो चक्रवृद्धि दर का कमाल। कंपनी के साथ आपका धन कुलांचे मारता बढ़ेगा। दीर्घकालिक निवेश की सेवा तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी, जिसे बढ़ना है आगे…औरऔर भी

ज्यादातर लोगों पर शेयरों की ट्रेडिंग का ऐसा जुनून सवार रहता है कि उन्हें अपने सिवाय कुछ नहीं दिखता। नहीं दिखता कि बाज़ार बनता ही है ठीक एक समय परस्पर विरोधी सोच के संयोग से। वर्तमान भाव पर दोनों की समान राय, लेकिन भावी मूल्य पर एकदम उलट। एक सोचता है बढ़ेगा तो खरीदता है। दूसरा सोचता है गिरेगा तो बेचता है। आत्ममोह के इस सम्मोहन से निकलना ज़रूरी है। अब पकड़ते हैं अगस्त का पहला ट्रेड…औरऔर भी