मोटे तौर पर कहा जाए तो बाजार में शेयर के भाव किसी भी दूसरे सामान की तरह डिमांड और सप्लाई या मांग और उपलब्धता से तय होते है। अगर निवेशक मानते हैं कि इस कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है या वह आगे भी काफी अच्छा काम करेगी तो वे उस शेयर को खरीदने में जुट जाते हैं। अब चूंकि एक खास समय पर कंपनी द्वारा जारी किए शेयरों की संख्या और ट्रेडिंग के उपलब्ध शेयरों कीऔरऔर भी

किशोर ओस्तवाल जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी-जल्दी करने की इच्छा होती है। सब कुछ तेजी से पा लेने की इच्छा होती है और हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम पड़ते हैं। उस समय ये प्यारी-सी कथा हमें याद आती है। दर्शन-शास्त्र के एक प्रोफ़ेसर क्लास में आए और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं। उन्होंने अपने साथ लाई एकऔरऔर भी

“शरीर हमसे बिना पूछे सोते-जागते, दिन-रात अपना काम करता रहता है। हमारे पूरे सुरक्षा तंत्र को चाक-चौबंद रखता है। लेकिन उसे भी कभी-कभी हमारी मदद की जरूरत पड़ती है। वह इशारों में बताता है। जब भी हम इन इशारों को नहीं समझते तो हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है।”और भीऔर भी

मैं अपने घर के चारों तरफ ऊंची-ऊंची बाड़ नहीं लगाना चाहता। न ही मैं अपने खिड़की-दरवाजे बंद रखना चाहता हूं। मैं तो दुनिया भर की हवाओं, संस्कृतियों को अपने घर से बेरोकटोक बहने देना चाहता हूं। लेकिन मैं इन हवाओं को अपने पैर ज़मीन से उखाड़ने की इजाजत नहीं दे सकता: महात्मा गांधीऔर भीऔर भी

शेयर बाजार में काम करनेवाला शायद ही कोई शख्स होगा जो ओल्ड फॉक्स का नाम न जानता हो। लेकिन हमारे-आपके लिए शायद यह एक पहेली है। असल में इनका नाम है राधा कृष्ण दामाणी। इन्हें आरके भी कहते हैं। उम्र है यही कोई 57 साल। ये बाजार के उस्ताद खिलाड़ी हैं। हर्षद मेहता को टक्कर देने के लिए जाने जाते हैं। मुंबई के नरीमन प्वाइंट में दफ्तर है। कम से कम 5-6 हजार करोड़ के मालिक हैं।औरऔर भी

मुझे अपने स्तर पर पता है कि बाजार के एक स्मार्ट ऑपरेटर ने निफ्टी में 5300 के स्तर पर कुछ शॉर्ट सौदे किए हैं। हालांकि वह तमाम शेयरों के साथ ही बाजार में तेजी आने की धारणा रखता है। असल में उसने शॉर्ट कॉल महज इसलिए दी है क्योंकि वह जांचना चाहता है कि निफ्टी में 5350 पर कोई रुकावट बन रही है या नहीं। उसे खुद लगता है कि अगले 12 महीनों में निफ्टी 7000 तकऔरऔर भी

देश के शेयर बाजारों में सूचीबद्ध 27 फीसदी कंपनियों में पिछले कई महीनों से कोई कारोबार नहीं हो रहा है। इनमें से ज्यादातर कंपनियों के प्रवर्तक अपने शेयर पहले ही बेचकर निकल चुके हैं। लेकिन लाखों आम निवेशक इनमें से ऐसा फंसे हैं कि न उनसे उगलते बन रहा है और न ही निगलते। करोड़ों के इस गड़बड़झाले पर न तो सेबी का कोई ध्यान है और न ही कॉरपोरेट मामलात इसे तवज्जो दे रहा है। बॉम्बेऔरऔर भी

सत्यम कंप्यूटर्स के बदनाम घोटाले में आंध्र प्रदेश सरकार की भी भूमिका रही है। यह बात भारतीय महालेखाकार (सीएजी) की ताजा रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट राज्य विधानसभा में पेश की जा चुकी है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि राज्य सरकार ने कंपनी को विशाखापटनम के नजदीक 42.5 एकड़ जमीन महज 10 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से दी थी। जहां इस जमीन की कीमत 170 करोड़ रुपए बनती है, वहीं सरकार नेऔरऔर भी

इस्पात इंडस्ट्रीज के प्रवर्तक कंपनी में अपनी इक्विटी हिस्सेदारी बढ़ाकर 46 फीसदी करेंगे। उनकी मौजूदा इक्विटी हिस्सेदारी लगभग 41 फीसदी है। असल में कंपनी के निदेशक बोर्ड के कल ही अपनी बैठक में तय किया है कि प्रवर्तकों को वरीयता आधार पर इक्विटी शेयर वारंट जारी किए जाएंगे। ये वारंट आवंटन के 18 महीने बाद इक्विटी शेयर में बदले जा सकते हैं। अभी बोर्ड के इस फैसले को कंपनी के शेयरधारकों की असाधारण आमसभा (ईजीएफ) में पासऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2009-10 गुजर गया। लेकिन यह साल जाते-जाते शेयर बाजार के निवेशकों की पूंजी दोगुनी करके गया है। अगर लिस्टेड कंपनियों के शेयर भावों को आधार बनाएं तो बाजार का पूंजीकरण अब 60 लाख करोड़ रुपए का स्तर पार गया है जो पिछले साल के स्तर से लगभग दोगुना है। हालांकि ये सारा सांकेतिक मामला है। लेकिन मानने में क्या हर्ज है कि भारतीय निवेशक पहले से दोगुने अमीर हो गए। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) मेंऔरऔर भी