कहते हैं कि चीन के आंकड़ों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। लेकिन इधर अपने भी आंकड़े दिखाते कम और छिपाते ज्यादा है। मसलन, नया आंकड़ा आया है कि मार्च में थोक मुद्रास्फीति की दर घटकर 29 महीनों के न्यूनतम स्तर 1.34% पर आ गई है। मार्च में रिटेल मुद्रास्फीति भी रिजर्व बैंक द्वारा तय 6% की ऊपरी सीमा के भीतर 5.66% पर आ चुकी है। क्या इसका मतलब यह कि महंगाई की मार घट रही है? कतई नहीं। थोक मुद्रास्फीति की दर इस बार इसलिए कम लग रही है क्योंकि साल भर पहले मार्च में यह 14.63% थी। पहले से इतने बढे हुए स्तर पर बढ़ी है। इसलिए आंकड़ा कम दिख रहा है। इस पर ज्यादा चहकने की ज़रूरत नहीं है। वैसे भी अब थोक नहीं, रिटेल मुद्रास्फीति के आधार पर रिजर्व बैंक ब्याज दर तय करता है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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