दुनिया भर के शेयर बाज़ारों के शीर्ष सूचकांकों में हमेशा उस वक्त की अच्छी से अच्छी कंपनियां रखी जाती हैं। कोई कंपनी आज है, हो सकता है कि पांच साल बाद न रहे। साल 1991 में सेंसेक्स में जो कंपनियां थी, 2001 आते-आते उनमें से 18 यानी 60% बदल दी गईं। निफ्टी-50 सूचकांक में तो जैसे 40% कंपनियां एक निश्चित अंतराल के बाद बदल देने का रिवाज़-सा बना हुआ है। इससे एक सबक तो यह है कि निफ्टी या सेंसेक्स में अपने वक्त की सबसे अच्छी कंपनियां रहती हैं तो हमें लम्बे वक्त के लिए अलग-अलग स्टॉक्स के बजाय इन सूचकांकों के ईटीएफ में निवेश करना चाहिए। दूसरा सबक यह है कि आज के दौर में बदलाव की रफ्तार कुछ ज्यादा ही तेज़ हो गई है तो सफल निवेश का चक्र छोटा होता जा रहा है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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