सरकार अपना बेहताशा खर्च पूरा करने के लिए आमजन से वसूली के साथ-साथ जमकर ऋण लेती रही है। पर, कॉरपोरेट क्षेत्र को रियायत व प्रोत्साहन यह कहकर देती रही है कि इससे वो नया निवेश करने को प्रेरित होगा, जिससे रोज़गार के नए-नए अवसर पैदा होंगे। ज़मीनी हकीकत क्या है? सितंबर 2022 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रोत्साहनों की चर्चा के बाद निजी क्षेत्र की तुलना हनुमान से करते हुए कहा था – का चुप साधि रहा बलवाना। लेकिन निजी क्षेत्र अब तक ठंडा पड़ा है। डेटा इस बात की गवाही देता है कि देश में जीडीपी के अनुपात के रूप निजी क्षेत्र का निवेश 2011-12 के बाद से बराबर घट रहा है। सरकार से मिले प्रोत्साहन का वो फायदा तो ज़रूर उठा रहा है। लेकिन नया निवेश नहीं कर रहा। 2011-12 में निजी निवेश जीडीपी का 27% हुआ करता था। 2015-16 में यह घटकर 21.3% और 2020-21 में घटकर 19.6% पर आ गया। बीते वित्त वर्ष 2022-23 में तो यह 15% तक गिर गया। उसके बाद का कोई विश्वसनीय डेटा नहीं है। मगर अनुमान है कि यह गिरकर 10-12% पर आ चुका है। केवल सरकार निवेश कर रही है और हाउसहोल्ड क्षेत्र भी निवेश कर रहा है। लेकिन निजी क्षेत्र ने हाथ खींच रखा है। उसमें क्षमता इस्तेमाल का स्तर 74-75% पर ही अटका हुआ है। अब बुधवार की बुद्धि…
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