कंपनी का अतीत देखा-परखा जा सकता है। तमाम टूल्स व फॉर्मूले भी हैं जिनसे उसका भविष्य आंका जा सकता है। यह काम कोई दूसरा आपके लिए कर सकता है। लेकिन तीन पहलू ऐसे हैं जिन्हें निवेश करने से पहले खुद आपको समझना पड़ता है। पहला यह कि कंपनी का बिजनेस मॉडल क्या है और उसमें विकास की कितनी गुंजाइश है? दूसरा यह कि उसका प्रबंधन कैसा है? प्रबंधन का काबिल होना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि यह भी देखना पड़ता है कि वह कितना ईमानदार, सच्चा व निष्ठावान है। प्रबंधन में ज़रा-सा भी झूठ व बेईमानी हुई तो वह कंपनी के साथ-साथ आपका निवेश भी डुबा सकता है। तीसरा पहलू यह कि कंपनी अपने लाभ का कितना हिस्सा बिजनेस को बढ़ाने में लगा रही है? सारा लाभ शेयरधारकों को बतौर लाभांश बांट देना दिखाता है कि उसके बिजनेस में छलांग लगाने का दम नहीं है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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