कोटर से रह-रह कर बाहर झांकने से कुछ नहीं होगा। बाहर खिलंदड़ी मची है। हर रंग खिल रहे हैं। सब कुछ है। लेकिन आपके बिना बहुत कुछ अधूरा है। कोटर में आप भी अधूरे हैं तो बाहर छलांग क्यों नहीं लगाते जनाब!
2010-10-10
कोटर से रह-रह कर बाहर झांकने से कुछ नहीं होगा। बाहर खिलंदड़ी मची है। हर रंग खिल रहे हैं। सब कुछ है। लेकिन आपके बिना बहुत कुछ अधूरा है। कोटर में आप भी अधूरे हैं तो बाहर छलांग क्यों नहीं लगाते जनाब!
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बाहर निकलना होगा।