आर्थिक हालात पर नजर रखनेवाली देश की निष्पक्ष संस्था, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने चालू वित्त वर्ष 2011-12 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान घटा दिया है। सीएमआईई के मुताबिक इस साल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 7.8 फीसदी वृद्धि का अनुमान है। इससे पहले उसने 7.9 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया था।
अपनी मासिक रिपोर्ट में सीएमआईई ने कहा है कि विभिन्न सेक्टरों की वृद्धि दर में भारी गिरावट के अनुमान के चलते उसे विकास दर का अनुमान घटाना पड़ा। उसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष में खनन क्षेत्र का सूचकांक 4.4 फीसदी के बजाय अब 3.2 फीसदी, मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का सूचकांक 7.5 फीसदी से घटकर 6.9 फीसदी और बिजली क्षेत्र का सूचकांक 9 फीसदी से घटकर 8.7 फीसदी पर आ सकता है। इससे पहले रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर का अनुमान 8 फीसदी से घटाकर 7.6 फीसदी कर दिया था। प्रमुख रेटिंग एजेंसी क्रिसिल भी विकास दर का अनुमान 7.8 फीसदी से घटाकर 7.6 फीसदी कर चुकी है।
सीएमआईई ने रिपोर्ट में कहा है कि घरेलू अर्थव्यवस्था लगातार दबाव में दिख रही है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) लगातार तीन महीने से गिरता-गिरता सितंबर 2011 में मात्र 1.9 फीसदी पर आ चुका है। थोक मूल्य आधारित महंगाई अब भी 9.73 फीसदी के स्तर पर बनी हुई है। महंगाई को काबू में करने के लिए रिजर्व बैक की ओर से ब्याज दरें बढ़ाने का उपाय भी कारगर साबित नहीं हुआ है। ऐसे कारकों के बीच चालू वित्त वर्ष में विकास दर नीचे आ सकती है।
औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार धीमी होने और ऊंची महंगाई दर के चलते अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति से उपजी मंदी में फंसती नजर आ रही है। कंपनियों की बिक्री के शानदार आंकड़ों के बावजूद विकास दर की रफ्तार पर इस साल विपरीत असर पडऩा तय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे माल की लागत बढऩे के कारण कंपनियों के मुनाफे में गिरावट आ रही है।