शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग में स्टॉप-लॉस का सामना उस्ताद से उस्ताद ट्रेडर तक को करना पड़ता है। बता दें कि विश्वस्तर पर एक रॉबिन कप ट्रेडिंग चैम्पियनशिप होती है। इसके डेटाबेस में ट्रेडिंग और ट्रेडरों के बिजनेस का भरपूर डेटा मिल जाता है। इसके मुताबिक विश्व चैम्पियन स्तर के ट्रेडर बड़ी मुश्किल से 60% से ज्यादा की कामयाबी दर हासिल कर पाते हैं। मतलब, दस में से चार सौदों में उन्हें आम तौर पर घाटा या स्टॉप-लॉस झेलना पड़ता है। औसत ट्रेडरों की यह दर 50% होती है, जबकि चलताऊ किस्म के ट्रेडरों की हिट या स्ट्राइक रेट तो अमूमन 30-35% ही रहती है। यकीनन, ट्रेडिंग के बिजनेस से खटाखट मुनाफा कमाया जा सकता है, बशर्ते स्टॉप-लॉस को संभाल लिया जाए। लेकिन ऐसा कर पाना दुनिया के सबसे कठिनतम कामों में से एक है। अब बुधवार की बुद्धि…
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