केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम नेशनल एल्यूमीनियम कंपनी (नालको) में अपनी दस फीसदी और इक्विटी बेचने पर गंभीरता से विचार कर रही है। वित्त राज्यमंत्री एस एस पलानी माणिक्कम ने मंगलवार को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। बता दें कि नालको एशिया की सबसे बड़ी एल्यूमीनियम कंपनी है और वेदांता समेत कई निजी कॉरपोरेट समूहों ने इस पर निगाहें गड़ा रखी हैं।
कंपनी की 1288.61 करोड़ रुपए की इक्विटी का 87.15 फीसदी हिस्सा अभी भारत सरकार के पास है। उसका पांच रुपए अंकित मूल्य का शेयर विनिवेश की खबर आने के बाद बीएसई में 3.92 फीसदी बढ़कर 55.70 रुपए पर पहुंच गया। दस फीसदी विनिवेश के बाद कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 77.15 फीसदी रह जाएगी।
मंत्री महोदय ने राज्यसभा में बताया कि विनिवेश का प्रस्ताव बनाकर खान मंत्रालय समेत तमाम मंत्रालयों को भेजा जा चुका है। खान मंत्रालय की टिप्पणी अभी तक नहीं मिली है। मालूम हो कि मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत केंद्र सरकार के उपक्रमों के विनिवेश के वक्त राज्य सरकारों से पूछने की कोई जरूरत नहीं होती। नालको की बॉक्साइट खदानें और एल्यूमीनियम रिफाइनरी व स्मेल्टर उड़ीसा में हैं।
विनिवेश से मिलनेवाली राशि राष्ट्रीय निवेश फंड (एनआईएफ) में डाल दी जाएगी। इस फंड से मिली आय का इस्तेमाल सामाजिक योजनाओं के साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों के पूंजी आधार को बढ़ाने वगैरह में किया जाता है। नए वित्त वर्ष 2012-13 में सरकार ने विनिवेश से 30,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है।