कंपनी का शेयर 1.4 के पी/ई और 0.2 के पी/बी अनुपात पर ट्रेड हो रहा हो, उसका ऋण-इक्विटी अनुपात 0.7 हो और सालाना लाभांश यील्ड 17.7% हो तो किसी भी निवेशक का मन उसमें धन लगाने को ललचा जाएगा। पर, आईटी कंपनी हेलियोज़ एंड मैथेसन इतना होने के बावजूद न तो जमाकर्ताओं का धन और न कर्मचारियों का वेतन समय से दे पा रही है। इसलिए अंश नहीं, संपूर्ण को देखना ज़रूरी है। अब आज का तथास्तु…औरऔर भी

स्मॉल-कैप कंपनियों के शेयर जमकर उछलते हैं तो गिरते भी हैं उतनी ही तेज़ी से। वहीं, मिड-कैप कंपनियों के साथ भी कमोबेश यही होता है। लेकिन मजबूत लार्ज-कैप कंपनियां अगर सही भाव पर पकड़ ली जाएं तो उनमें धीमी ही सही, मगर निरतंर वृद्धि होती रहती है। आज तथास्तु में ऐसी ही एक लार्ज-कैप कंपनी जिसके शेयर बीते तीन महीनों में 21% गिर चुके हैं। अभी इसमें निवेश करना लंबे समय में काफी लाभकारी साबित होगा।…और भीऔर भी

शेयरों के भाव बढ़ते हैं तो लोगबाग बावले हो जाते हैं और उनमें खरीदने की होड़ मच जाती है। चालू वित्त वर्ष 2014-15 में दिसंबर तक के नौ महीनों में इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमों में धन लगानेवालों की संख्या 12.12 लाख बढ़ गई। लेकिन अगस्त 2013 में जब बाज़ार गिरा हुआ था, तब सभी दुबके पड़े थे। समझदारी इसमें है कि निवेश के लिए भावों के गिरने का इंतज़ार किया जाए। तथास्तु में इसका एक जानदार उदाहरण…औरऔर भी

ट्रेडिंग और निवेश की दुनिया एकदम भिन्न है। एक में भावों का ट्रेन्ड पकड़ते हैं। ट्रेन्ड गलत निकले तो मार से बचने के लिए स्टॉप-लॉस लगाकर चलना ज़रूरी है। वहीं, निवेश शेयर के अंतर्निहित मूल्य के आधार पर किया जाता है। बाजार भाव उससे जितना कम होता है, निवेश उतना ही फलदायी होता। कंपनी के मूलभूत कारक मजबूत हैं और शेयर गिर गया तो उसे और ज्यादा खरीदा जा सकता है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

अच्छी कंपनियों के शेयर मंथर-मंथर बढ़ते रहते हैं। हमने करीब सवा साल पहले इसी कॉलम में एक मिड-कैप स्टॉक में निवेश की सलाह देते हुए तीन साल में उसके दोगुना होने का आकलन किया था। वो एक साल में ही दोगुना हो गया। अभी अगले दो-तीन साल में उसके कम-से-कम डेढ़ गुना होने की प्रबल संभावना है। इसलिए जो उसमें हैं, बने रहें। बाकी लोग नई खरीद कर सकते हैं। तथास्तु में उसी कंपनी का नया लेखा-जोखा…औरऔर भी

समय और उसके साथ निरतंर विकास। जीवन के तमाम क्षेत्रों की तरह निवेश में भी इन्हीं दो पक्षों का ध्यान रखना पड़ता है। चाहने से चंद दिन में पौधा पेड़ नहीं बनता। यह भी सही है कि बोया पेड़ बबूत का तो आम कहां से होए। कंपनियां अच्छी चुनो। फिर देखो चक्रवृद्धि दर का कमाल। कंपनी के साथ आपका धन कुलांचे मारता बढ़ेगा। दीर्घकालिक निवेश की सेवा तथास्तु में एक और संभावनामय कंपनी, जिसे बढ़ना है आगे…औरऔर भी

बाज़ार में ईद की छुट्टी है तो सोचा कि चलते-चलते इस साल के छह महीने की समीक्षा कर ली जाए। ट्रेडिंग सलाह सेवा अल्पकालिक है और अलग-अलग लोगों के रेस्पांस पर निर्भर है। इसलिए उसकी वस्तुपरक समीक्षा संभव नहीं। लेकिन दीर्घकालिक निवेश की सेवा, तथास्तु की समीक्षा की जा सकती है। कमाल की बात है कि 5 जनवरी से 22 जून तक प्रस्तुत 25 में से 22 कंपनियों के शेयर बढ़े हैं। 88% का जबरदस्त स्ट्राइक रेट…औरऔर भी

जिस तरह गलत लोगों के बहकावे पर गलत लोगों को चुनने से राजनीति गलत नहीं हो जाती, उसी तरह गलत लोगों के कहने पर गलत कंपनियां चुनने से शेयर बाज़ार गलत नहीं हो जाता। इसका एक और उदाहरण। हमने इसी जगह 15 सितंबर 2010 को आरती ड्रग्स में निवेश की सलाह दी थी। तब उसका शेयर 137 रुपए था। अभी 372 के शिखर पर है। साढ़े तीन साल में 171.5% ऊपर! अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में निवेश के दो तरीके हैं। पहला, कहीं किसी से, जान-पहचान वाले या टीवी पर एनालिस्ट से सुन लिया तो दांव लगा दिया। यह एक तरह की सट्टेबाज़ी है जो 100% नुकसान ही नुकसान करती है। आज देश के करीब दो करोड़ डीमैट खातों में से आधे से ज्यादा निष्क्रिय क्यों पड़े हैं? दूसरा तरीका है वैल्यू इनवेस्टिंग। इसमें कंपनी की अंतर्निहित ताकत को देखकर निवेश किया जाता है। तथास्तु में अब आज की कंपनी…औरऔर भी

ऐसा क्यों कि कंपनी गर्त में जा रही होती है और उसके प्रवर्तकों की मौज बढ़ती रहती है? सुज़लॉन एनर्जी की वित्तीय हालत और उसके शेयर की दुर्गति आप जानते होंगे। छह साल में शेयर 446 से 9.70 रुपए पर आ चुका है। लेकिन उसके प्रवर्तक तुलसी तांती ने अपनी सालाना तनख्वाह दो करोड़ से बढ़ाकर सीधे तीन करोड़ कर ली! हमें ऐसे प्रवर्तकों की कंपनियों से दूर रहना चाहिए। अब तथास्तु में आज एक लार्जकैप कंपनी…औरऔर भी