उत्पादन के चार कारक हैं भूमि, श्रम, पूंजी व उद्यमशीलता। इनके मिलने से ही वे तमाम माल व सेवाएं बनती हैं जिनसे हमारी अर्थव्यवस्था बनती है। इनमें से पूंजी, उद्यमशीलता और भूमि की चर्चा जमकर होती है। लेकिन उत्पादन व अर्थव्यवस्था में अहम योगदान करनेवाले श्रम को किनारे कर दिया जाता है। हम भी 1 मई को महाराष्ट्र दिवस और गुजरात दिवस मनाने के चक्कर में अक्सर भूल जाते हैं कि यह अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस या मई दिवस भी है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए श्रम का बहुत ज्यादा महत्व है। संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत इस साल जून-जुलाई तक 142.86 करोड़ के साथ चीन को भी पीछे छोड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। इसमें से 25.40 करोड़ लोगों की उम्र 15 से 24 साल की होगी और 68% आबादी 15 से 64 साल की श्रमिक उम्र की होगी। अब मंगलवार की दृष्टि…
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