बर्ड फ्लू का वायरस तैयार, रुकी रिसर्च रिपोर्ट

बर्ड फ्लू को समझने के लिए मानव निर्मित वायरस तैयार हो गया है। लेकिन अमेरिका को डर है कि कहीं आतंकवादी इसे जैविक हथियार के बतौर पर न इस्तेमाल करने लग जाएं। इसलिए उसने दुनिया की दो मशहूर विज्ञान पत्रिकाओं साइंस और नेचर से कहा है कि वे इस रिसर्च का ब्यौरा न जारी करें।

अमेरिकी सरकार की विज्ञान सलाहकार समिति, नेशनल साइंस एडवाइजरी बोर्ड फॉर बायोसिक्योरिटी (एनएसएबीबी) ने आशंका जताई है कि इस रिसर्च से जुड़े अहम तथ्य सामने आने के बाद आतंकवादी संगठन इसका इस्तेमाल जैविक हथियार के तौर पर कर सकते हैं। बोर्ड ने दोनों पत्रिकाओं से कहा है कि इस रिसर्च के मूल रिपोर्ट में बदलाव करें।

उसने एक बयान जारी कर कहाहै, “सार्वजनिक स्वास्थ्य और रिसर्च समुदाय के लिए इस रिसर्च की रिपोर्ट की महत्ता को देखते हुए एनएसएबीबी सिफारिश करती है कि इस रिपोर्ट की मुख्य बातों को तो प्रकाशित किया जाए, लेकिन वायरस को तैयार करने के बारे में जानकारी न छापी जाए ताकि इसका इस्तेमाल वे लोग न कर सकें जो इससे किसी तरह का नुकसान पहुंचा सकते हैं।”

यह वायरस एक एच5एन1 वायरस (बर्ड फ्लू का वायरस) है, जिसे हॉलैंड की एक प्रयोगशाला में तैयार किया गया है और यह मवेशियों में बड़ी तेजी से फैलता है। इसका मतलब है कि यह इंसानों में भी तेजी से फैल सकता है और अगर इसे वायुमंडल में छोड़ दिया जाए तो इंसानों के महामारी बन सकता है। जानकारों का कहना है कि अगर आतंकवादी इसका इस्तेमाल करने में सफल हो गए तो अनर्थ हो सकता है।

लेकिन नेचर पत्रिका के प्रमुख संपादक फिलिप कैम्पबेल का कहना कि वे इस रिपोर्ट को छापना चाहते हैं। उन्होंने एक बयान में कहा है, “हमें एनएसएबीबी की ऐसी सिफारिश मिली है जो पहले कभी नहीं मिली थी। हम उस पर विचार कर रहे हैं। वैज्ञानिक समुदाय के लिए यह जरूरी है कि बर्ड फ्लू पर की गई कोई भी रिसर्च दूसरे शोधकर्ताओं के पास जाए। अब हम चर्चा कर रहे हैं कि इससे जुड़े आंकड़े जरूरी जगहों पर कैसे पहुंचाए जा सकते हैं।”

हॉलैंड की टीम ने रॉटरडम में यह प्रयोग किया है। टीम ने अपनी रिसर्च के बाद सितंबर में ही कह दिया था कि उन्होंने ऐसा कृत्रिम एच5एन1 वायरस तैयार कर लिया है जो स्तनधारी जीवों में बड़ी तेजी से फैल सकता है। इस टीम में शामिल रॉन फॉशियर ने कहा कि उन्हें लगता है कि यह वायरस मनुष्यों में और तेजी से फैल सकता है।

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