पुराने के बीच हमेशा नया बनता रहता है। पुराना हमें बांधे रखता है तो नया हमें खींचता है। इनके बीच हम तलवार की धार पर चलते हैं। लेकिन नया-नया रटने के बावजूद ज़रा-सा चूके तो पुराने के खेमे में जा गिरते हैं।
2010-07-04
पुराने के बीच हमेशा नया बनता रहता है। पुराना हमें बांधे रखता है तो नया हमें खींचता है। इनके बीच हम तलवार की धार पर चलते हैं। लेकिन नया-नया रटने के बावजूद ज़रा-सा चूके तो पुराने के खेमे में जा गिरते हैं।
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