दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं मुद्राओं के जरिए आपस में जुड़ी रहती हैं और उनका संतुलन बनता-बिगड़ता रहता है। बीते 21 साल में विश्व अर्थव्यवस्था में अमेरिकी डॉलर का हिस्सा लभभग 12% घट गया है। यूरो का हिस्सा भी 28% से घटकर 20% पर आ गया है। फिर बाकी हिस्सा किसके पास है। दुनिया के वित्तीय बाज़ार का लगभग 5% ब्रिटिश पाउंड, 5% जापानी येन और मात्र 2.6% चीनी युआन के पास है। साफ है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने के बावजूद चीनी युआन की स्थिति काफी कमज़ोर है। यकीनन, अमेरिकी डॉलर अब भी दुनिया की प्राथमिक और सबसे बड़ी आरक्षित मुद्रा बनी हुई है। लेकिन डॉलर की स्थिति कमज़ोर होते जाने से दुनिया धीरे-धीरे मुक्ति की सांस ले सकती है। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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