विश्व बैंक का कहना है कि भारत की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष 2023-24 में इसलिए कम रहेगी क्योंकि उधार महंगा होने और आमदनी में कम बढ़त से निजी उपभोग में कमी आएगी। लेकिन रिजर्व बैंक कहता है कि हमारा जीडीपी ज्यादा बढ़ेगा क्योंकि रबी की अच्छी फसल से ग्रामीण मांग बढ़ेगी, सरकार के ज्यादा पूंजीगत व्यय से मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में क्षमता इस्तेमाल का स्तर उठेगा, बैंक ऋण दहाई अंक में बढ़ रहे हैं और जिंसों के दाम घटने से मैन्यूफैक्चरिंग व निवेश गतिविधियों को आवेग मिलेगा। वैश्विक मांग पर दबाव होने के बावजूद हमारा जीडीपी पहली तिमाही में 7.8%, दूसरी तिमाही में 6.2%, तीसरी तिमाही में 6.1%, चौथी तिमाही में 5.9% और पूरे साल में कुल मिलाकर 6.5% बढ़ेगा। लेकिन सवाल उठता है कि स्वायत्त होने के बावजूद रिजर्व बैंक कहीं राजनीतिक वजहों से हांक तो नहीं रहा? अब मंगलवार की दृष्टि…
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