देश में आर्थिक विकास का दस साल से बनाया गया तिलिस्म धीरे-धीरे टूट रहा है। अक्टूबर महीने में भले ही त्योहारी सीजन की बिक्री की वजह से जीएसटी संग्रह 8.9% बढ़ गया हो, लेकिन सितंबर में यह 6.5% ही बढ़ा था जो पिछले 40 महीनों का न्यूनतम स्तर था। इसी तरह देश का व्यापार घाटा सितंबर में साल भर पहले के 20.08 अरब डॉलर से बढ़कर 20.78 अरब डॉलर हो गया। यह अगस्त में 29.65 अरब डॉलरऔरऔर भी

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निकलने से अपना शेयर बाज़ार डूब रहा है या डुबकी लगा रहा है? जवाब है कि बाज़ार कतई डूब नहीं रहा। वो केवल डुबकी लगा रहा है ताकि फिर और ज़ोर-शोर से ज्यादा ठोस धरातल से उछाल मार सके। यह भी साफ होना चाहिए कि सूचकांकों के गिरने से कंपनियां खुद-ब-खुद सस्ती नहीं हो जातीं और न ही उनके शेयर के भाव घट जाने से उनके बिजनेस और मुनाफे की भावी संभावनाऔरऔर भी

यूं तो आज, 1 नवंबर 2024 को दिवाली के लक्ष्मी पूजन के मौके पर शेयर बाज़ार में सामान्य अवकाश है। लेकिन शाम को 6 से 7 बजे तक मुहूर्त ट्रेडिंग ज़रूर होगी। इसमें भी 5.45 बजे से 6 बजे तक प्री-ओपन सत्र होगा। बता दें कि मुहूर्त ट्रेडिंग से ही विक्रम सम्वत 2081 की शुरुआत होगी। मुहूर्त ट्रेडिंग शेयर बाज़ार में लम्बी परम्परा का हिस्सा है और इसका निर्वाह हर साल पूरे श्रद्धाभाव से किया जाता है।औरऔर भी

देश में सुख-समृद्धि का क्या स्थिति है? कीर्ति और ऐश्वर्य की पताका कहां फहरा रही है? आम लोगों की बात करें तो खाने-पीने की चीजों की महंगाई के चलते अक्टूबर 2024 में औसत भोजन की थाली पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 52% महंगी हो गई है, जबकि इस दौरान औसत वेतन और मजदूरी 9-10% ही बढ़ी है। थोड़ा ऊपर बढ़ें तो स्कूटर व मोटरसाइकल की बिक्री 2018-19 में 2.12 करोड़ के शीर्ष पर पहूंचनेऔरऔर भी

अण्णा आंदोलन और उसके बाद हुए सत्ता परिवर्तन के बाद लगा था कि अब देश से भ्रष्टाचार व कालाधन खत्म हो जाएगा। झूठ का नाश हो जाएगा। असत्य हमेशा-हमेशा के लिए हार गया और सत्य की पताका लहराती रहेगी। लेकिन सच क्या है? भ्रष्टाचार ऊपर से लेकर नीचे तक अब भी फैला हुआ है। राफेल से लेकर पेगासस और इलेक्टोरल बॉन्डों तक, फेहरिस्त बड़ी लम्बी है। राजनीति से लेकर अर्थनीति समेत सार्वजनिक जीवन तक में असत्य वऔरऔर भी