वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने बजट भाषण के अंत में कहा है कि यह बजट आम आदमी का है। यह किसानों, कृषकों, उद्यमियों और निवेशकों का है। इसमें बाकी सब तो ठीक है, लेकिन किसान और कृषक का फर्क समझ में नहीं आया। असल में वित्त मंत्री ने अपने मूल अंग्रेजी भाषण में फार्मर और एग्रीकल्चरिस्ट शब्द का इस्तेमाल किया है। लेकिन वित्त मंत्रालय के अनुवादक बाबुओं ने शब्दकोष देखा होगा तो दोनों ही शब्दों काऔरऔर भी

जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी, वित्त मंत्री ने बजट 2010-11 में वह काम कर दिखाया। सभी को यही लग रहा था कि क्योंकि प्रत्यक्ष कर संहिता (डायरेक्ट टैक्स कोड) लागू होनी है, इसलिए शायद प्रणब मुखर्जी इस बार व्यक्तिगत आयकर की दरों या स्लैब में कोई तब्दीली नहीं करेंगे। बहुत हुआ तो करमुक्त आय के लिए होम लोन के ब्याज की सीमा को 1.5 लाख रुपए के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर देंगे।औरऔर भी

उदय प्रकाश की एक कहानी है राम सजीवन की प्रेमकथा। इसमें खांटी गांव के रहनेवाले किसान परिवार के राम सजीवन जब दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ने जाते हैं तो वहां कोई लड़की कानों में सोने का बड़ा-सा झुमका या गले में लॉकेट पहनकर चलती थी तो वे बोलते थे कि देखो, वह इतना बोरा गेहूं, सरसों या धान पहनकर चल रही है। ऐसा ही कुछ। मैंने वो कहानी पढ़ी नहीं है। लेकिन इतना जानताऔरऔर भी

रेल मंत्री ममता बनर्जी ने अपने बजट भाषण में ज़ोर देकर कहा कि हम रेलों का निजीकरण नहीं करने जा रहे हैं और यह एक सरकारी संगठन बना रहेगा। लेकिन पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पर बनी रेलवे की समिति के अध्यक्ष अमित मित्रा के नेतृत्ववाले उद्योग संगठन फिक्की का कहना है, “रेल बजट का मुख्य ज़ोर रेलों को निजी क्षेत्र के लिए खोलने पर है ताकि विकास को तेज किया जा सके और अर्थव्यवस्था के 9-10 फीसदीऔरऔर भी

बड़े आश्चर्य की बात है कि पिछले 58 सालों में देश में हर साल रेल नेटवर्क में औसतन 180 रूट किलोमीटर ही जुड़ते रहे हैं। 1950 में कुल रूट किलोमीटर करीब 53,596 था, जो 2008 तक 64,015 किलोमीटर पर पहुंचा है। यह तथ्य खुद रेल मंत्री ममता बनर्जी ने आज लोकसभा में वित्त वर्ष 2010-11 का रेल बजट पेश करते हुए रखा है। नए वित्त वर्ष के लिए ममता बनर्जी ने 1000 रूट किलोमीटर जोड़ने का लक्ष्यऔरऔर भी

कभी स्टरलाइट समूह की कंपनी मद्रास एल्युमीनियम की सब्सिडियरी रह चुकी इंडिया फॉयल इस समय इनसाइडर ट्रेडिंग के फेरे में पड़ी हुई है। यह कंपनी बीआईएफआर के हवाले किए जाने के बाद डीलिस्ट हो गई थी। जब यह बीआईएफआर के दायरे से बाहर निकली तो एस डी (ESS DEE) एल्युमीनियम ने इसका अधिग्रहण कर लिया। हालांकि बीआईएफआर से बाहर निकलने में उसे लंबा वक्त लग गया। इसके बाद इंडिया फॉयल में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बढ़कर 89 फीसदीऔरऔर भी

करेंट एकाउंट (सीए) यानी चालू खाते और सेविंग एकाउंट (एसए) यानी बचत खाते को मिला दें तो बनता है सीएएसए यानी कासा। बैंक की कुल जमाराशि में कासा जमा का हिस्सा कितना है, इससे उसकी लागत पर बहुत फर्क पड़ता है। चालू खाते मुख्तया कंपनियां, फर्में व व्यापारी व उद्यमी रखते हैं जो हर दिन खाते से काफी लेन-देन करते हैं। जबकि बचत खाते में हमारे-आप जैसे आम लोग अपना धन जमा रखते हैं और इसका इस्तेमालऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के निर्देश के बावजूद अब भी वितरक/ब्रोकर ग्राहकों के कागजात म्यूचुअल फंड को नहीं दे रहे हैं। सेबी ने बीते दिसंबर माह से ही यह नियम बना दिया हैं कि म्यूचुअल फंड निवेशक को किसी दूसरे ब्रोकर या मध्यस्थ की सेवा लेने के लिए पुराने ब्रोकर से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेने की जरूरत नहीं है। लेकिन ब्रोकर अब भी किसी न किसी बहाने ग्राहक के निवेश संबंधी दस्तावेज देने में आनाकानी करऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जस्टिस डीपी वाधवा समिति की रिपोर्ट पर अमल के लिए एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त कर दिया है। रिटायर्ड मुख्य आयकर आयुक्त और सेबी के पूर्व कार्यकारी निदेशक विजय रंजन को यह जिम्मा सौंपा गया है। यह मामला साल 2003 से 2005 के बीच आए 21 आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक ऑफर) का है, जिसमें हजारों बेनामी डीमैट खाते खुलवाकर रिटेल निवेशकों के हिस्से के शेयर हासिल कर लिए गए थेऔरऔर भी