कुछ जानकार तो यहां तक कहते हैं कि शुरुआती ट्रेडरों को उन्हीं सौदों को हाथ लगाना चाहिए जिनमें रिस्क-रिवॉर्ड अनुपात कम से कम 1:5 का हो। कहने का मतलब यह कि हमें अपनी व्यावहारिक सीमाओं को ध्यान में रखकर ही ट्रेडिंग करनी चाहिए। ट्रेडर को बराबर इसका भी हिसाब लगाते रहना चाहिए कि ब्रोकर के कमीशन और शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स वगैरह देने के बाद उसकी सचमुच की कमाई कितनी हो रही है। अब गुरु की दशा-दिशा…
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