सर्तकता और समझदारी से घटता रिस्क

शेयर बाज़ार में निवेश व ट्रेडिग के रिस्क को जड़ से नहीं मिटाया जा सकता। मिट गया तो यहां निवेश करना सरकारी बॉन्डों में धन लगाने जैसा हो जाएगा। लेकिन रिस्क कम हो जाने से रिटर्न भी कम हो जाएगा। हां, शेयर बाज़ार के रिस्क को कम से कम ज़रूर किया जा सकता है। साफ समझ बना लें कि रिस्क ऐसा दुश्मन है जो कभी सामने से नहीं, हमेशा पीछे से वार करता है। वो खुलकर नहीं, छिपकर चलता है। पता नहीं कि कब कहां से हमला कर दे। निवेश व ट्रेडिंग करते वक्त हम जितने ज्यादा समझदार और सतर्क रहेंगे, बाज़ार का रिस्क उतना ही कम किया जा सकता है। वहीं, अगर बेपरवाह होकर शान-पट्टी बघारने लगे तो बाज़ार में हर पल घात लगाए बैठा रिस्क आसानी से दबोच लेगा। अब शुक्रवार का अभ्यास…

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