अण्णा हज़ारे उन्नीस दिनों का मौन व्रत तोड़ने के बाद शुक्रवार को फिर सरकार पर बीस पड़ते नजर आए। उन्होंने खुलकर कहा कि वे जनलोकपाल बिल न पारित होने पर वे कांग्रेस के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे। कांग्रेस व बीजेपी के बारे में भी उन्होंने दो-टूक अंदाज में कहा कि एक भ्रष्टाचार में डॉक्टरेट कर ली है तो दूसरा इस मामले में पीएचडी हैं।
शुक्रवार को सुबह राजधानी दिल्ली में महात्मी गांधी की समाधि राजघाट का दर्शन करने के बाद हज़ारे ने अपना मौन व्रत तोड़ा। मौनव्रत तोड़ने के बाद उनके पहले शब्द थे ‘भारत माता की जय’। उसके बाद अन्ना ने कहा कि अब वह पूरी तरह से स्वस्थ महसूस कर रहे हैं। उन्हें नयी ऊर्जा और नई शक्ति मिल गयी है। बापू की समाधि पर मत्था टेककर उन्हें काफी सकून का एहसास हो रहा है।
16 अक्टूबर से जारी मौन को तोड़ने के बाद उन्होंने आक्रामक अंदाज में ऐलान किया कि अगर 22 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में यूपीए सरकार ने उनका जनलोकपाल विधेयक पारित नहीं किया तो वे उन पांच राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करेंगे जहां अगले साल विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उनका आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ था, है और रहेगा। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के अनाप-शनाप बयानों पर अण्णा ने कहा, “उनकी बातों का जवाब देने लगा तो मुझे अपना इलाज मानसिक अस्पताल में करवाना पड़ेगा।” अण्णा ने साफ कहा कि सरकार अभी भी जनलोकपाल बिल पर अपना रूख साफ नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को उत्तराखंड सरकार से सबक लेना चाहिए जिसने शक्तिशाली लोकायुक्त बिल अपने राज्य में पारित किया है। अण्णा ने कहा कि कांग्रेस जनलोकपाल बिल के टुकड़े-टुकड़े कर रही है। कांग्रेस और बीजेपी में अंतर के सवाल पर अन्ना ने कहा कि कोई दूध का धूला नहीं है, एक ने भ्रष्टाचार में डॉक्टरेट कर ली है तो एक ने पीएचडी।
मौन व्रत तोड़ने के बाद अण्णा ने यह भी कहा कि उनका मौन व्रत किसी के खिलाफ नहीं था, बल्कि रामलीला मैदान में चले 12 दिन के अनशन के बाद उनकी शक्ति चली गई थी। इसलिए अपनी ऊर्जा वापस लाने के लिए अन्ना ने मौन व्रत रखा था।