चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक इंटरनेशनल के बैंक रिसर्च प्रमुख पॉल शुल्टे ने ईटी नाऊ को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि भारतीय बैंकों के स्टॉक्स दुनिया में सबसे महंगे हैं। भारतीय बैंक औसतन 15 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहे है, जबकि इंडोनेशिया के बैंक 13 और चीन के बैंक 9 के पी/ई अनुपात पर। पॉल शुल्टे ने एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई को महंगा बताया और एक्सिस बैंक के बारे में कहा कि जो लोग प्रीमियम बैंक में निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए शायद एक्सिस बैंक सबसे अच्छा विकल्प है।
लेकिन इन शुल्टे-कुल्टे महोदय की नजर लगता है, अभी तक आईडीबीआई बैंक पर नहीं पड़ी है। आईडीबीआई बैंक ने कल ही अपने नतीजे घोषित किए हैं। इनके मुताबिक वित्त वर्ष 2010-11 में उसका ईपीएस (प्रति शेयल लाभ) 18.37 रुपए है। उसका शेयर (बीएसई – 500116, एनएसई – IDBI) कल 149.55 रुपए पर बंद हुआ है। खुद गिन लीजिए, कितना पी/ई निकलता है! मात्र 8.14, कुल्टे साहब के चीनी बैंकों से 9 पी/ई से भी कम। यह उस बैंक की बात है जिसका बिजनेस (डिपॉजिट + ऋण) 3,37,584 करोड़ रुपए है, जिसका बाजार पूंजीकरण 14,724 करोड़ रुपए है। अभी बीएसई के ए ग्रुप में है। कल को सेंसेक्स में भी शामिल हो सकता है।
बता दें कि एसबीआई अभी 17.19 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि आईसीआईसीआई बैंक 26.62, एचडीएफसी बैंक 27.82 और एक्सिस बैंक 18.48 के पी/ई अनुपात पर। दूसरी तऱफ आईडीबीआई बैंक केवल 8.14 पर। अंतर इतना साफ है कि किसी को भी दिख सकता है। इसके लिए दस सिर और बीस आंखें नहीं चाहिए।
आईडीबीआई बैंक के आकर्षण का दूसरा पहलू यह है कि इसके पास अभी 11657.24 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। इसमें 984.57 करोड़ रुपए की इक्विटी जोड़ दें तो उसकी नेटवर्थ हो जाती है 12641.81 करोड़ रुपए। अब इसे बैंक के कुल जारी शेयरों की संख्या, 98.46 करोड़ से भाग दे दें तो बुक वैल्यू निकलती है 128.4 रुपए। इस तरह बैंक का शेयर अभी अपनी बुक वैल्यू से मात्र 1.16 गुने भाव पर ट्रेड हो रहा है। जाहिरा तौर पर आईडीबीआई बैंक आम निवेशकों के लिए दूरगामी निवेश का शानदार मौका पेश कर रहा है। तमाम चिरकुट शेयरों के चक्कर में न पड़कर इसमें कम से कम 5-10 साल के नजरिये के साथ पैसा लगा देना चाहिए।
वित्तीय आंकड़ों को एक तरफ रख दें तो आईडीबीआई का प्रबंधन और उसकी प्रबंध संस्कृति इतनी पुख्ता है कि मुझे नहीं लगता कि सार्वजनिक क्षेत्र के इस सबसे युवा और तेजतर्रार बैंक को कोई एक दिन एसबीआई जैसी हैसियत पाने से रोक सकता है। बैंक के साथ अभी प्रमुख दिक्कत यह है कि देश भर में उसकी कुल 816 शाखाएं ही हैं। बैंक ने सितंबर 2010 से जब से अपने बचत व चालू खातों के सारे शुल्क खत्म कर दिए हैं, तब से बहुत से जमाकर्ता उसके यहां खाते खुलवाना चाहते हैं। लेकिन आसपास उसकी कोई शाखा ही नहीं है तो क्या करें?
बैंक के चेयरमैन आर एम मल्ला बताते हैं कि इस साल 284 नई शाखाएं खोलने की योजना है और मार्च 2012 तक बैंक की शाखाओं की कुल संख्या 1100 हो जाएगी। बैंक के पास 31 मार्च 2011 तक कुल जमा 1,80,486 करोड़ रुपए की थी। इसमें कासा (चालू व बचत खाते) में जमाराशि का हिस्सा 20.8 फीसदी था, जिसे चालू वित्त वर्ष में 25 फीसदी कर देने का लक्ष्य है। मल्ला बताते हैं कि प्रति शाखा कासा जमा के मामले में आईडीबीआई बैंक देश के सबसे बेहतरीन बैंकों में शुमार है। बता दें कि कासा बैंकों के लिए जमा हासिल करने का सबसे अच्छा जरिया है। इससे बैंकों की फंड लागत घट जाती है औ नतीजतन मुनाफा बढ़ जाता है।
आईडीबीआई बैंक के नतीजे शानदार रहे हैं। वित्त वर्ष 2010-11 में उसका परिचालन लाभ 52.5 फीसदी और शुद्ध लाभ 60 फीसदी बढ़ा है। बैंक की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) में 91.9 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है। बैंक की इक्विटी में भारत सरकार का हिस्सा 65.13 फीसदी है। बैंक के पास इस समय कुल 2,53,377 करोड़ रुपए की आस्तियां हैं। बैंक इस साल अपने शेयरधारकों को 35 फीसदी लाभांश दे रही है, जबकि पिछले साल यह 30 फीसदी था। बैंक के बारे में और भी बहुत कुछ है। लेकिन क्या करेंगे जानकर। भरोसा रहिए। बड़ा पुख्ता शेयर है।
अंत में बता दें कि हमने इस शेयर को सबसे पहले 7 जून 2011 को अलग से खरीदने की सिफारिश की थी। तब इसका भाव 119 रुपए था। उसके बाद 1 नवंबर 2010 को यह 202.25 रुपए की ऊंचाई पकड़ चुका है। इधर पिछले कुछ समय से दबा-दबा चल रहा है। निश्चित रूप से अपनी निवेश पोटली में इसकी मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। बाकी बचत आपकी तो निवेश का फैसला भी पूरी तरह आपका ही होना चाहिए।