जो बाहर है, वही तो अंदर है। प्रकृति ही बाहर है और भीतर भी। इसलिए किसी के सामने झुककर आपके अंदर की शक्ति नहीं जगती। इसके लिए तो अंदर की इंजीनियरिंग और सर्जरी जरूरी है।
2010-04-08
जो बाहर है, वही तो अंदर है। प्रकृति ही बाहर है और भीतर भी। इसलिए किसी के सामने झुककर आपके अंदर की शक्ति नहीं जगती। इसके लिए तो अंदर की इंजीनियरिंग और सर्जरी जरूरी है।
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