कंपनी कितनी भी अच्छी व मजबूत हो, उसके शेयरों को चढ़े हुए भाव पर खरीदने में कतई समझदारी नहीं है। असल में कंपनी के शेयरों के भाव के दो भाग होते हैं। एक निवेश का और दूसरा सट्टे का। मान लीजिए कि किसी कंपनी का प्रति शेयर मुनाफा (ईपीएस) पिछले चार सालों में 10, 8, 12 व 13 रुपए रहा है। इसके आधार पर तर्कसंगत अनुमान यह हो सकता है कि भविष्य में उनकी अर्जन क्षमता 11 रुपए के आसपास रह सकती है। 15 का वाजिब पी/ई अनुपात मानकर चलें तो इसका अंतर्निहित मूल्य या निवेश भाव 165 रुपए निकलता है। यह शेयर अगर 120 रुपए पर ट्रेड हो रहा है तो वो अंतर्निहित मूल्य से डिस्काउंट पर है और इसे खरीदा जा सकता है। लेकिन वो शेयर अगर 250 रुपए तक चढ़ जाए तो उसमें सट्टे का भाव जुड़ जाता है। अंतर्निहित मूल्य या निवेश का भाव 165 रुपए, जबकि बाज़ार भावी विकास की उम्मीद में 85 रुपए अतिरिक्त दे रहा है। इस उम्मीद या अनुमान में एक सटोरिया तत्व छिपा है। निवेशक इस पहलू को समझकर रिस्क उठाए तो अलग बात। मगर, सुरक्षित चलने वाले निवेशकों को कंपनी के शेयर वाजिब भाव पर ही खरीदने चाहिए। नहीं तो उन्हें अच्छा रिटर्न नहीं मिलता। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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