जापान के शेयर बाज़ार में नब्बे के दशक में आंख मूंदकर लम्बा निवेश करनेवाले लोग आज खून के आंसू रो रहे होंगे। वे अगर अपने देश की अर्थव्यवस्था की हालत से वाकिफ रहे होते तो उनकी यह स्थिति नहीं होती। लेकिन शेयर बाज़ार की चकाचौंध और टेक्निकल बातों में उलझे विद्वान कहते हैं कि ब्याज, राजकोषीय हालत, मुद्रास्फीति, कच्चे तेल की कीमत, आयात-निर्यात का संतुलन, क्वांटिटेटिव ईजिंग या नोट छापकर सिस्टम में डालने जैसी तमाम जानकारियां व ज्ञान न केवल फालतू है, बल्कि निवेशक या ट्रेडर का ध्यान भटकाकर उसका नुकसान करता है। यह उस एक्स-फैक्टर से हमारा ध्यान भटका देता है जो शेयर बाजार से कमाने के लिए सचमुच मायने रखता है। यह एक्स-फैक्टर है कि लोग अपनी वित्तीय ज़रूरतों व सीमाओं को समझें और उसमें फिट बैठनेवाले स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड स्कीम को पकड़ें। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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