नींबू की गरमी उतरने का नाम नहीं ले रही। एक तो इस मार्च महीने में 122 सालों की सबसे ज्यादा गरमी पड़ी तो डिमांड बढ़ गई। दूसरे, नींबू की फसल का ताज़ा सीजन मौसम की मार चढ़ गया तो सप्लाई घट गई। इसके ऊपर से महंगे पेट्रोल-डीजल ने मालभाड़े को आसमान पर पहुंचा दिया। शेयर बाज़ार में डिमांड-सप्लाई का यही खेल बराबर चलता रहता है। आप कहेंगे कि यहां तो शेयरों की सप्लाई स्थिर ही रहती है। कंपनी बंधी संख्या में शेयर जारी करती है। प्रवर्तकों का हिस्सा घटाने के बाद बचे फ्लोटिंग स्टॉक में ट्रेडिंग होती रहती है जिसमें रोजमर्रा कोई बहुत फर्क नहीं पड़ता। इसलिए सप्लाई तो कमोबेश ही स्थिर रहती है। यहां मालभाड़े का भी कोई खेल नहीं। बच गई डिमांड जो स्टॉक्स को उठाती-गिराती रहती है। अब सोमवार का व्योम…
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