हम इतने बड़े भी नहीं कि खुदा हो जाएं और इतने छोटे भी नहीं कि कोई भुनगे की तरह मसल दे। हम सब निमित्त हैं। पर जो काम हमें करना है, उसे हमें ही करना होगा। नहीं तो नया निमित्त मिलने में देर हो सकती है।
2010-10-13
हम इतने बड़े भी नहीं कि खुदा हो जाएं और इतने छोटे भी नहीं कि कोई भुनगे की तरह मसल दे। हम सब निमित्त हैं। पर जो काम हमें करना है, उसे हमें ही करना होगा। नहीं तो नया निमित्त मिलने में देर हो सकती है।
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