रंगमंच नहीं रणभूमि

जो लोग जीवन को रंगमंच कहते हैं वे या तो खुद भ्रम में हैं या झूठ बोलते हैं। जीवन तो युद्ध क्षेत्र है और हम सभी योद्धा। यहां सिर्फ प्रतिभा ही काफी नहीं। युद्ध कौशल के लिए निरंतर अभ्यास व अनुशासन जरूरी है।

3 Comments

  1. प्रतिभा व अभ्यास, दोनों। सच है।

  2. रंगमंच ही सही है, क्योंकि एक अच्छा अभिनेता बनने के लिए प्रतिभा, निरंतर अभ्यास व अनुशासन बहुत ज़रूरी हैं. दुनिया के रंगमंच पर साधारण और ख़राब अभिनेता इफरात हैं पर साधा अभिनय बिरले ही कर पाते हैं. युद्ध में हमें लोगों को अपने और प्रतिद्वंदी की दृष्टी से देखना होता है, अभिनय में सभी सहायक अभिनेताओं, दर्शकों और परदे के पीछे के लोगों से समन्वय बनाना होता है. जैसे जैसे आप तज़र्बेदार होते जाते हैं आप पाते हैं की जिंदगी लड़ाई नहीं बल्कि संतुलन और समन्वय का दूसरा नाम है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *