अप्रैल माह के अंत तक देश में मोबाइल फोनधारकों की संख्या 60.12 करोड़ हो गई है। टीआरएआई (टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के अनुसार अप्रैल में 1.69 करोड़ नए मोबाइल कनेक्शन लिए गए हैं। इस तरह मोबाइल फोनधारकों की संख्या मार्च 2010 के 58.43 करोड़ से 2.89 फीसदी बढ़ गई है। उधर प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकार और ज्ञान आयोग के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में कहा कि दो साल के भीतर देश की सभी ढाई लाख पंचायतों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन पहुंच जाएंगे। इससे पहले केंद्रीय संचार व सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट भी 2012 तक देश की सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने की बात कह चुके हैं।
पित्रोदा ने कहा कि अगले 18 से 24 महीनों में सभी ढाई लाख पंचायतों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी हो जाएगी। इसके लिए 9000 करोड़ रुपए की आवश्यक रकम टेलिकॉम कंपनियों से शुल्क लेकर बनाए गए यूएसओ (यूनिवर्सल सर्विस आब्लिगेशन) फंड से हासिल की जाएगी। अभी देश में करीब एक करोड़ ब्रॉडबैंड कनेक्शन हैं। पित्रोदा के मुताबिक पांच सालों के भीतर यह संख्या बढ़कर 10 करोड़ हो जाएगी। उनका कहना था कि ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से युवाओं में निहित संभावनाओं को निखारने में मदद मिलेगी।
बता दें कि भारत में इंटरनेट की पहुंच केवल 7 फीसदी आबादी तक है जो अमेरिका, जापान, चीन या दक्षिण कोरिया जैसे देशों की तुलना में बहुत कम है। अमेरिका में अभी 22.7 करोड़, चीन में 36 करोड़ और जापान में 9.5 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं। समस्या यह है कि अपने यहां कुल इंटरनेट कनेक्शन कितने हैं, इसको लेकर भी कोई साफ संख्या सामने नहीं है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि साल 2009 के अंत तक यह संख्या 8.10 करोड़ पर पहुंच चुकी है। लेकिन बाजार शोध संस्था आईएमआरबी और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएमएआई) के ताजा सालाना सर्वे के अनुसार यह संख्या 7.10 करोड़ है जो साल भर में 42 फीसदी बढ़ी है। दिलचस्प बात यह है कि कुल इटरनेट ग्राहकों में से 34 फीसदी आठ बड़े महानगरों के हैं, लेकिन 36 फीसदी उन शहरों के हैं जिनकी आबादी पांच लाख से कम है। बाकी 30 फीसदी इंटरनेट ग्राहक पांच लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों व अन्य महानगरों के हैं।
आईएमआरबी और आईएमएआई ने यह सर्वे देश के 19,000 घरों, 68,000 लोगों और 500 साइबर कैफे में किया था। इसके मुताबिक देश के पांच कंप्यूटर उपभोक्ताओं व अंग्रेजी बोलनेवाले लोगों में चार बराबर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। 2009-10 में देश में 73 लाख पीसी (पर्सनल कंप्यूटर) की बिक्री हुई जो कमोबेश साल भर पहले जितनी ही है, जबकि चीन में हर साल इससे करीब आठ गुना ज्यादा पीसी बिकते हैं। इस दौरान साइबर कैफे की संख्या भी घट रही है। 2006 में देश भर में कुल 2.35 लाख साइबर कैफे थे, लेकिन 2009 में इनकी संख्या घटकर करीब 1.80 लाख रह गई है।
वैसे, 3 जी स्पेक्ट्रम के बाद ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस (बीडब्ल्यूए) स्पेक्ट्रम की नीलामी को टेलिकॉम ऑपरेटरों की तरफ से जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है। शुक्रवार तक इसके लिए 5245 करोड़ रुपए की बोलियां आ चुकी थीं, जबकि आधार मूल्य 1750 करोड़ रुपए का ही है।
वो तो ठीक है लेकिन कम्प्युटर कैसे चलाएंगे? साईकिल का पहिया घुमाकर बिजली बनायेंगे क्या?
जिस चीज़ की सबसे ज्यादा ज़रुरत है उसकी ओर ध्यान दे नहीं रहे हैं और फालतू की योजनायें बना रहे हैं.