लघु व मझौले उद्यमों को शुरुआती पब्लिक ऑफर (आईपीओ) लाए बिना ही एसएमई एक्सचेंज में लिस्ट होने की इजाज़त दी जाएगी। लेकिन उनका इश्यू जानकार निवेशकों तक ही सीमित रहेगा। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को पेश बजट 2013-14 में यह घोषणा की। ऐसे उद्यमों में स्टार्ट-अप कंपनियां भी शामिल हैं। यह सुविधा मौजूदा स्टॉक एक्सचेंजों के एसएमई प्लेटफॉर्म से अलग है जहां व्यापक निवेशकों की भागादारी के साथ आईपीओ लाकर ही लिस्टिंग कराई जा सकती है।
नए स्टॉक एक्सचेंज एमसीएक्स-एसएक्स के प्रबंध निदेशक व सीईओ जोसेफ मैसी का कहना है कि इस कदम से एसएमई सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। उनका कहना था कि बजट में कुल मिलाकर ऐसे उपाय किए गए हैं जिनसे न केवल आर्थिक विकास को गति मिलेगी, बल्कि पूंजी बाजार के आधार और निवेशक आबादी को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। यही इस वक्त देश की मांग है।
वित्त मंत्री चिदंबरम ने स्वीकार किया कि देश में रोजगार के अवसरों, उत्पादन और निर्यात में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की बड़ी हिस्सेदारी है। उनमें से बहुत से इसलिए विकास नहीं करते क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उन्हें अभी मिल रही सहूलियतें छिन जाएंगी। उनके इस डर को दूर करने के लिए बजट में पेशकश की गई है कि अपनी श्रेणी से बाहर निकलने के तीन साल बाद तक उन्हें पुरानी सहूलियतें बदस्तूर मिलती रहेंगी।
चिदंबरम ने एमएसएमई क्षेत्र को ज्यादा मदद देने के लिए इस क्षेत्र के लिए बने बैंक, सिडबी की रिफाइनेंसिंग क्षमता को 5000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष करने का ऐलान किया। उन्होंने यह भी बताया कि नए कंपनी विधेयक में शुद्ध लाभ का दो फीसदी कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) पर खर्च करने की अनिवार्यता है। लेकिन यह रकम एमएसएमई को प्रोत्साहित करनेवाले टेक्नोलॉजी प्रशिक्षण पर भी खर्च की जा सकती है।