कुछ भी पूर्ण नहीं। कुछ भी अंतिम नहीं। इसलिए पुराने आग्रहों से चिपके रहने का कोई फायदा नहीं। नए को लपाक से पकड़ लें। पुराना उसमें सुधरकर समाहित हो जाएगा। पुराने को पकड़े रहे तो नया भरे हुए प्याले से बाहर ही छलकता रहेगा।
2012-06-23
कुछ भी पूर्ण नहीं। कुछ भी अंतिम नहीं। इसलिए पुराने आग्रहों से चिपके रहने का कोई फायदा नहीं। नए को लपाक से पकड़ लें। पुराना उसमें सुधरकर समाहित हो जाएगा। पुराने को पकड़े रहे तो नया भरे हुए प्याले से बाहर ही छलकता रहेगा।
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