धंधा करनेवालों से कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसे साबित कर दिया है इंटरनेट की दुनिया की दो दिग्गज हस्तियों गूगल और फेसबुक ने। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सर्च इंजिन गूगल और सोशल नेटवर्किंग फर्म फेसबुक ने कोर्ट द्वारा ‘चीन जैसी कार्रवाई’ की चेतावनी मिलने के बाद भारतीय डोमेन की वेबसाइटों ने कुछ ‘आपत्तिजनक’ सामग्री हटा ली है।
ये दोनों उन 21 कंपनियों में शामिल हैं जिन्हें दिल्ली की एक निचली अदालत ने सोमवार को आदेश दिया कि वे हिंदू, मुस्लिम व ईसाई धर्म पर चोट करनेवाली तस्वीरों को ब्लॉक करने का तरीका विकसित करें। असल में इन साइटों के खिलाफ फतवा ऑनलाइन (fatwaonline.org) नाम की एक बेवसाइट चलानेवाले शख्स मुफ्ती एजाज़ क़सम ने एक नया दीवानी मुकदमा दायर किया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि गूगल व फेसबुक जैसी वेबसाइटों पर धार्मिक भावनाओं को आहत करनेवाली तस्वीरें लगाई गई हैं। अदालत ने इस पर गौर करने के बाद कंपनियों को आदेश दिया कि वे 15 दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि उन्होंने आक्रामक सामग्रियों को ब्लॉक करने के लिए क्या कदम उठाए हैं।
गूगल की प्रवक्ता परोमा रॉय चौधरी का कहना है कि उनकी टीम ने आपत्तिजनक सामग्री की समीक्षा की और गूगल के भारतीय डोमेन, यूट्यूब व ब्लॉगर से इन्हें डिसेबल कर दिया गया है। फेसबुक ने भी कुछ सामग्रियों को अपनी साइट पर ब्लॉक करने की बात स्वीकार की है। वहीं, माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता का कहना था, “हमने इस मुकदमे को खारिज करने की अर्जी दी क्योंकि इसमें माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ कार्रवाई का कोई कारण नहीं बताया गया है।”
असल में इस सारे विवाद के पीछे वह कानून है जिसे केंद्र सरकार ने पिछले साल पारित किया है। इसके मुताबिक कंपनियां अपनी वेबसाइट पर पेश किए गए यूज़र कंटेंट के लिए जवाबदेह हैं और अगर कोई शिकायत आती है तो कंपनियों को 36 घंटे के भीतर ऐसा कंटेंट हटा लेना होगा। पिछले ही महीने इंटरनेट कंपनियों ने कहा था कि साइट से कंटेंट को ब्लॉक करना संभव नहीं है। लेकिन अब गूगल व फेसबुक ने कोर्ट की चाबुक दिखते ही कुछ सामग्री हटा ली है। हालांकि दोनों ने बताया नहीं है कि क्या-क्या हटाया या ब्लॉक किया गया है।
बता दें कि पिछले महीने भी दिल्ली की एक अदालत ने गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट व याहू समेत इन्हीं 21 इंटरनेट कंपनियों के खिलाफ समन जारी किए थे। उसने यह कदम विनय राय नाम के एक पत्रकार की याचिका पर उठाया था। इस पर अगली सुनवाई 13 मार्च को होनी है। गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट व याहू ने इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील कर रखी है जिस पर कोर्ट का फैसला आना अभी बाकी है।