लगता है पूरी सरकार यह समझाने में लग गई है कि यूरोप के ऋण संकट, खासकर ग्रीस के संकट का कोई खास असर भारत पर नहीं पड़ेगा। रविवार को सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा था कि अगर यूरोप में कई देशों के ऋण संकट को मौजूदा स्तर पर थाम लिया गया तो यह भारतीय पूंजी बाजार के लिए फायदेमंद होगा। आज वित्त सचिव अशोक चावला ने दिल्ली में बयान दिया कि ग्रीस के ऋण संकट का बेहद मामूली असर भारत पर पड़ेगा। साथ ही रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने कोलकाता में कहा कि दूरगामी नजरिए से भारत पर ग्रीस के संकट का गंभीर असर नहीं पडेगा। सरकार की तरफ से आए इन सकारात्मक बयानों का असर शेयर बाजार पर भी देखा गया है। खबर लिखे जाने तक बीएसई सेंसेक्स 465.96 अंक और एनएसई निफ्टी 148.95 अंक ऊपर चल रहा था।
गोकर्ण ने एक समारोह में कहा कि थोड़े समय के लिए यह जरूर हो सकता है कि ग्रीस के संकट के चलते उभरते बाजारों (चीन, भारत, व ब्राजील जैसे देश) से विदेशी मुद्रा का बाहर निकलना बढ़ जाए। लेकिन भारत की बात करें तो इसका दूरगामी परिणाम कतई गंभीर नहीं होगा क्योंकि इस संकट से विश्व अर्थव्यवस्था के विकास में कोई व्यवधान नहीं आएगा। हालांकि उनका कहना था कि उनकी यह धारणा इस भरोसे पर आधारित है कि ग्रीस के संकट को कायदे से संभाल लिया जाएगा।
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर का कहना था कि ग्रीस के संकट से विदेशी निवेशकों में थोड़ी घबराहट आ सकती है और ये चीज उन्हें उभरते बाजारों से पूंजी निकालने के लिए उकसा सकती है। इसलिए कुछ समय के लिए हम मान सकते हैं कि इन देशों से विदेशी पूंजी बाहर निकल सकती है। लेकिन दीर्घकालिक स्तर पर देखें तो इसका खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें नहीं लगता कि केंद्र सरकार की ज्यादा उधारी के बावजूद अप्रैल से सितंबर के दौरान तरलता पर कोई दबाव पड़ेगा।