देश की सबसे प्रतिष्ठित और दूसरी सबसे बडी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी इनफोसिस के रोजमर्रा के कामकाज से मुक्त होने के बाद एन आर नारायणमूर्ति नई सामाजिक भूमिका अपनाते दिख रहे हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अण्णा हज़ारे व अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं से समान राय रखते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री व न्यायपालिका को लोकपाल के अंतर्गत ले आना चाहिए, जबकि सरकार पूरी तरह इसके खिलाफ है। आज, शुक्रवार को उन्होंने बेलाग अंदाज में कह दिया कि भ्रष्टाचार के मुद्दे से विदेश में भारत की छवि धूमिल हुई है।
उन्होंने एक टेलिविजन को दिए गए इंटरव्यू में यह बात कही। जब उनसे पूछा गया कि क्या भ्रष्टाचार के मुद्दे से विदेश में भारत की छवि पर असर पड़ा है तो उनका कहना था, “भारत की जो साख कुछ साल पहले तक बनी थी, अब धूमिल हो गई है। इसमें कोई संदेह नहीं। यह तो स्पष्ट है।”
इंटरव्यू में नारायण मूर्ति ने साफ कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे के कारण वैश्विक स्तर पर भारत की छवि प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि देश की छवि के बारे में यह उनकी राय या शब्द नहीं है, बल्कि एक तथ्य है जो उन्हें विभिन्न बाहरी लोगों से मुलाकात के दौरान पता चली है। बता दें कि नारायण मूर्ति इनफोसिस के संस्थापक हैं। वे अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं।
अस्सी के दशक में मात्र दस हजार रुपए से शुरू करके उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इनफोसिस को अब 25,385 करोड़ रुपए की कंपनी बना दिया है। हां, एक बात और। कल 16 जून तक इनफोसिस का पूरा नाम इनफोसिस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड था। लेकिन अब इनफोसिस लिमिटेड हो गया है।