देश के अवैध 24.5 लाख करोड़ विदेश में, सबसे कम भ्रष्ट देश देते हैं संरक्षण

अभी तक बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी कहते रहे थे कि स्विस बैंकों में भारतीयों ने 25 लाख करोड़ रुपए की काली कमाई जमा कर रखी है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सरकार को घेरनेवाले जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी तक इस काले धन की मात्रा 17 लाख करोड़ रुपए बताते रहे हैं। लेकिन अब खुद सरकार की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने खुलासा किया है कि विदेशी बैंकों में भारतीयों के करीब 24.5 लाख करोड़ रुपए जमा है और यह अवैध रकम दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले कई गुना ज्यादा है।

सीबीआई निदेशक ए पी सिंह ने सोमवार को राजधानी दिल्ली में भ्रष्टाचार-विरोध व दौलत वापसी के मसले पर आयोजित इंटरपोल के पहले वैश्विक कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि कर-स्वर्ग माने जानेवाले देशों में भारतीयों ने सबसे ज्यादा अवैध धन रख रखा है। अनुमानतः यह काला धन 500 अरब डॉलर (50,000 x 49 = 2.45 लाख करोड़ रुपए) है। उनका कहना था कि स्विस बैंकों के सबसे बड़े जमाकर्ता भारतीय ही हैं।

उन्होंने बताया कि भारत में टैक्स बचाने के लिए भ्रष्ट लोग मॉरीशस, स्विटजरलैंड व ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड जैसे देशों के बैंकों में अपना धन जमा कर देते हैं। लेकिन कालेधन को रोकने और उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने में बहुत समय लगता है। इस दौरान जमाकर्ताओं को उस देश में कानूनी संरक्षण मिल जाता है। कालेधन से उनकी अर्थव्यवस्था में मजबूती रहती है, इसलिए वो इसका खुलासा नहीं करना चाहते।

सीबीआई निदेशक का कहना था कि भ्रष्टाचार पर नज़र रखनेवाली अंतरराष्ट्रीय संस्था, ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल के सूचकांक में जो देश सबसे कम भ्रष्ट हैं, उनमें से 53 फीसदी देश करचोरों की पनाहगाह बने हुए है और भ्रष्टाचार से उपजी अधिकांश कमाई इन्हीं देशों में बैंकों में जमा होती है। ऐसे देशों में सबसे कम भ्रष्ट देश न्यूजीलैंड का नाम शामिल है। इनमें सिंगापुर व स्विटजरलैंड भी शामिल हैं जो ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल के मुताबिक दुनिया के सबसे कम भ्रष्ट देशों में पांचवें व सातवें नंबर पर हैं।

उन्होंने बताया कि जांच एजेंसियों के अधिकार क्षेत्र का फायदा उठाकर अपराधी बच निकलते हैं। वे कम से कम दो देशों में अपराध करते हैं और निवेश किसी तीसरे देश में करते हैं। उनका कहना था, “सीबीआई द्वारा हाल में जांच किए जा रहे 2जी, राष्ट्रमंडल खेलों और मधु कोड़ा जैसे मामलों से पता चला है कि अवैध धन पहले दुबई, सिंगापुर या मॉरीशस ले जाया गया और फिर उसे स्विटजरलैंड और अन्य कर-स्वर्ग देशों तक पहुंचा दिया गया।”

उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक आपराधिक गतिविधियों और करचोरी से करीब 1.5 लाख करोड़ डॉलर की रकम सीमापार जा चुकी है जिसमें से 40 अरब डॉलर विकासशील देशों के सरकारी अधिकारियों को दी गई रिश्वत है। लेकिन पिछले 15 सालों के दौरान इसमें से मात्र पांच अरब डॉलर की रकम वापस अपने मूल देश में लाई जा सकी है।

उधर केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा है कि सरकार को विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने में कठिनाई हो रही है, क्योंकि उन देशों के राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है। उनका कहना था, “अन्य देशों में राजनीतिक इच्छाशक्ति बहुत उत्साहवर्धक नहीं है। वे कहते हैं कि हम कानून से बंधे हुए हैं। हमें विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।” नारायणसामी ने कहा कि कालेधन से निपटना बहुत जरूरी है क्योंकि आतंकवादी संगठन विदेशी बैंकों में धन जमा करने के लिए नए-नए इलेक्ट्रॉनिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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