देश की सबसे बडी एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर सही ही दावा करती है कि हर तीन में से दो भारतीय उसका कोई न कोई ब्रांड रोजाना इस्तेमाल करते हैं। बाकी एक तिहाई आबादी गरीबी रेखा से नीचे है, नहीं तो वो भी करती। चाय से लेकर सूप, आटे से लेकर पानी, साबुन से लेकर शैंपू, घर की सफाई से लेकर दांतों की सफाई तक… कहां नहीं है हिंदुस्तान लीवर। लेकिन लोगों के दिमाग में जगह बनाने के लिए वह जितनी मशक्कत करती है, उसे देखते हुए उसकी हालत नौ की लकड़ी, नब्बे खर्च वाली हो गई है।
कंपनी अपने ब्रांडों के विज्ञापन व प्रचार-प्रसार पर अपने शुद्ध लाभ से भी ज्यादा रकम खर्च कर रही है। मंगलवार को घोषित नतीजों के मुताबिक मार्च 2010 में खत्म वित्त वर्ष में उसकी बिक्री 17,523.80 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 2202.03 करोड़ रुपए रहा है, जबकि विज्ञापन व प्रमोशन पर उसने 2391.43 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इससे पहले 31 मार्च 2009 को खत्म साल में उसकी बिक्री 16,476.75 करोड़ रुपए, शुद्ध लाभ 2115.52 करोड़ रुपए और विज्ञापन व प्रमोशन खर्च 1691.79 करोड़ रुपए रहा है। इस तरह हिंदुस्तान यूनिलीवर ने साल भर में अपना विज्ञापन व प्रमोशन खर्च 44.45 फीसदी बढ़ा दिया है। इसके बावजूद उसकी बिक्री महज 6.35 फीसदी और शुद्ध लाभ 4.08 फीसदी बढ़ा है। यह वृद्धि दर मार्च 2010 तक की सालाना मुद्रास्फीति की दर 9.9 फीसदी से भी कम रही है।
अगर मार्च 2010 में खत्म तिमाही की बात करें तो कंपनी की बिक्री 4315.75 करोड़ व शुद्ध लाभ 581.20 करोड़ रुपए रहा है, जबकि विज्ञापन व प्रमोशन पर उसने 626.52 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। मार्च 2009 की तिमाही में भी उसने शुद्ध लाभ से ज्यादा खर्च विज्ञापन पर किया था। उसका शुद्ध लाभ 394.99 करोड़ रुपए था, जबकि विज्ञापन खर्च 450.55 करोड़ रुपए था। यही क्रम दिसंबर 2009 में खत्म नौ महीनों का भी था, जब कंपनी का शुद्ध लाभ 1620.83 करोड़ रुपए था और उसका विज्ञापन व प्रमोशन खर्च 1764.91 करोड़ रुपए था।
कंपनी इसके बावजूद अपने नतीजों से खुश है और उसने अपने शेयरधारकों को एक रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर कुल 6.50 रुपए लाभांश देने की घोषणा की है। बीएसई में मंगलवार को कंपनी का शेयर 0.60 फीसदी गिरकर 230.10 रुपए पर बंद हुआ है। कंपनी के चेयरमैन मनवानी हैं और इसके सीईओ व प्रबंध निदेशक नितिन परांजपे हैं।
असल में हिंदुस्तान यूनिलीवर को स्थानीय ब्रांडों से तगड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है। इसलिए वह विज्ञापन व प्रमोशन का खर्च बढ़ाती जा रही है। इसीलिए कभी-कभी टेलिविजन पर पूरे दिन हमें उसी के तमाम ब्रांडों के विज्ञापन देखने पड़ते हैं। लेकिन सोचिए कि अगर कंपनी शुद्ध लाभ अभी जितना ही कमाए और विज्ञापन खर्च कम कर दे तो रिन से से लेकर लाइफब्वॉय और पॉड्स से लेकर प्योर-इट तक के दाम कितने सस्ते हो सकते हैं। सस्ते होंगे तो इनकी बिक्री और बढ़ जाएगी, नतीजतन कंपनी का लाभ और बढ़ जाएगा। लेकिन हिंदुस्तान लीवर प्रबंधन अपने सुविख्यात ब्रांडों का भी अनावश्यक ढिढोरा पीट रहा है और इस चक्कर में अपना तो नुकसान कर ही रहा है, ग्राहकों पर भी बेकार का बोझ डाल रहा है।
झूठ बोल कर जनता को बहुत दिनों से लूट रही थी हिन्दुस्तान लीवर | स्वामी रामदेव के अभियान का असर अब साफ़ नज़र आ रहा है जिसमे उन्होंने इन मल्टी नेशनल कंपनियों की जम कर पोल खोली थी | अब साफ़ लग रहा है की गिने चुने दिन ही बचे है पेप्सी, कोक हिन्दुस्तान लीवर और इन जैसी लुटेरी कंपनियों के | जब से मुझे पता चला है की कितने ज़हरीले होते है इन विदेशी कंपनियों के उत्पाद तब से मैंने खुद तो इनका इस्तेमाल कारन छोड़ा ही है साथ ही मैंने दूसरो को भी समझाया है | लोगो को ये पता ही नहीं है की जिस कोलगेट / पेप्सोडेंट टूथ पेस्ट से वो सुबह मंजन करते है वो असलियत में कितना ज़हरीला है | इन टूथपेस्टो में सोडियम लौरेल सल्फेट नाम का एक केमिकल डाला जाता है जिस से लोगो को कैंसर होने ही संभावना होती है | भारत में तो चूंकि कायदे कानून कुछ ख़ास नहीं है तो जनता को कुछ नहीं बताती है ये कंपनिया पर अमेरिका और यूरोप में इन कंपनिया को टूथपेस्ट के पैकेट पर साफ़ साफ़ लिखना होता है की टूथपेस्ट सिर्फ मटर के दाने जितना ही ले और ६ साल से कम उम्र के बच्चे यदि गलती से इसका इस्तेमाल करे तो उन्हें फ़ौरन हॉस्पिटल ले कर जाए | सोडियम लौरेल सल्फेट बड़ी बड़ी मशीनों में ग्रीस मिटाने के काम में आता है और यही वो केमिकल है जो की वाशिंग पाउडर और शेविंग क्रीम में जहाग के लिए इस्तेमाल किया जाता है | टूथ पेस्ट में भी इसका इस्तेमाल झाग बनाए के लिए होता है | इस लिए चाहे आप वाशिंग पाउडर से मंजन करे या शेविंग क्रीम से या फिर पेप्सोडेंट /कोलगेट जैसे टूथपेस्ट से बात एक ही है |