इसमें शायद ही कोई दो राय होगी कि विदेश संस्थागत निवेशक (एफआईआई) हमारे शेयर बाजार के प्रमुख खिलाड़ी बन चुके हैं। इतने बड़े कि बाजार उनके पीछे चलता है। एफआईआई अपना निवेश बहुत सोच-समझ कर गहन रिसर्च के बाद करते हैं। ऐसे में यह जानना बहुत महत्वपूर्ण होता है कि वे किन शेयरों में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं क्योंकि इन ‘महाजनों’ के पथ पर चलकर आम निवेशक भी उनकी विशेषज्ञता का फायदा उठा सकते हैं। हमारी सहयोगी कंपनी सीएनआई रिसर्च ने ऐसी 299 ऐसी कंपनियों को छांटा है जिनमें एफआईआई ने दिसंबर 2009 से लेकर मार्च 2010 की तिमाही में अपनी खरीद बढ़ाई है। उसने इसमें से भी 142 कंपनियों का चयन किया है जिनमें आगे बढ़ने की काफी गुंजाइश है। पूरी सूची के लिए हम सीएनआई की रिपोर्ट की पीडीएफ फाइल सबसे आखिर में रख रहे हैं। लेकिन पहले समझते हैं उसकी रिसर्च और सिफारिश का आधार।
मार्च 2010 की तिमाही में जिन 299 कंपनियों में एफआईआई ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है, उनमें से 250 कंपनियों में यह वृद्धि 2 फीसदी तक, 35 कंपनियों में 2 से 5 फीसदी तक, 9 कंपनियों में 5 से 10 फीसदी तक और बाकी 5 कंपनियों में 10 फीसदी से अधिक है। जिन 250 कंपनियों में एफआईआई ने अपनी होल्डिंग 2 फीसदी तक बढ़ाई है, उसमें से 195 कंपनियां ऐसी हैं जिनमें उनकी हिस्सेदारी एक फीसदी या इससे कम बढ़ी है। इन 195 कंपनियों में से 6 कंपनियों के शेयरों में दिसंबर 2009 से मार्च 2010 के बीच 50 फीसदी से ज्यादा बढ़त हुई है, 47 कंपनियों के शेयर 10 से 50 फीसदी बढ़े हैं, जबकि 142 कंपनियों के शेयरों में तीन महीनों के दौरान हुई बढ़त 10 फीसदी तक है।
हमें लगता है कि यही वे 142 कंपनियां हैं जिनमें अभी बढ़त की काफी गुंजाइश है क्योंकि पहले से बढ़ चुकी कंपनियों में हाथ डालना रिस्की है। वैसे, एफआईआई ज्यादा लालच नहीं करते और एक निश्चित सीमा तक फायदा कमाने के बाद निकलने लगते हैं। एक बात और नोट करने की है कि पिछले सवा साल में एफआईआई अपना ध्यान बराबर मिड कैप व स्मॉल कैप कंपनियों की तरफ बढ़ाते गए हैं। दिसंबर 2008 की तिमाही में उन्होंने ऐसी 82 कंपनियों में अपना निवेश बढ़ाया था। मार्च 2009 की तिमाही में यह संख्या 109, जुलाई 2009 की तिमाही में 208, सितंबर 2009 की तिमाही में 239 और दिसंबर 2009 की तिमाही में 322 हो गई। मार्च 2010 की तिमाही में सीएनआई ऐसी 299 कंपनियां ही छांट पाई है क्योंकि स्टॉक एक्सचेंजों में बहुत सारी कंपनियों की शेयरधारिता को अपडेट नहीं किया है, जबकि नियमतः 15 अप्रैल तक उन्हें ऐसा कर देना चाहिए था। इसलिए बहुत मुमकिन है कि असली संख्या इससे ज्यादा हो।
हमारा मानना है कि एफआईआई जब किसी कंपनी में अपना निवेश बढ़ाने की शुरुआत करते हैं, तभी उन्हें पकड़ लेना चाहिए। इसलिए हमने ऐसी 195 कंपनियों को चुना और फिर उसमें से भी 142 कंपनियों को चुना क्योंकि बाकी के शेयर पिछले तीन महीनों में काफी बढ़ चुके हैं। इन 142 कंपनियों में कई शेयर ऐसे हैं जिनके भाव एफआईआई निवेश करने के बावजूद घटे हैं। इसलिए आंख मूंदकर हम इनमें से किसी को भी नहीं चुन सकते। हमें उनके वित्तीय कामकाज और मजबूती का भी पता लगाना होगा। तभी हम अपने निवेश को लेकर कुछ हद तक निश्चिंत हो सकते हैं।
पूरी सूची आप नीचे की पीडीएफ फाइल को डाउनलोड करके उसके अंत में दी गई टेबल-डी में देख सकते हैं। यहां मैं उनमें से कुछ चुनिंदा नाम पेश कर रहा हूं। इंडियन बैंक, मैरिको इंडस्ट्रीज, सिंभावली शुगर्स, अमार राजा, सेंट्रल बैंक, पीवीआर, फाइजर, नागार्जुन फर्टिलाइजर, ज्योति लैब, तनेजा एयरोस्पेस, रोल्टा इंडिया, टाटा केम, जेसीटी, लाइका लैब्स, मद्रास सीमेंट, अलेम्बिक, शिपिंग कॉरपोरेशन, भारत फोर्ज, डेंसो इंडिया और विप्रो। बाकी आप खुद देख-परख और समझ सकते हैं। कभी सब पकापकाया नहीं मिलता। अपनी मेहनत ही खुद को लाभ पहुंचाती है। दूसरे की मेहनत का लाभ तो उसे ही मिलेगा।