जिस कंपनी की प्रति शेयर कमाई (ईपीएस) 62.66 रुपए हो, उसके शेयर का मूल्य कितना होना चाहिए? माना जाता है कि शेयर का बाजार मूल्य ईपीएस का दस गुना हो, यानी पी/ई अनुपात 10 तक हो तो वह बेहद वाजिब और निवेश के लिए सुरक्षित शेयर है। इस हिसाब से शेयर होना चाहिए 620 रुपए के आसपास। ऊपर से कंपनी की पूंजी में सरकार का 37.84 फीसदी हिस्सा हो तो वहां निवेश को लेकर और निश्चिंत हुआ जा सकता है। ऐसी ही एक सुरक्षित व भरोसेमंद कंपनी है गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (जीएफसीएल)। कुछ साल पहले तक इसमें गुजरात सरकार की इक्विटी भागीदारी 51 फीसदी थी। अब घटकर 37.84 फीसदी पर आ गई है।
कंपनी का शेयर इस समय बीएसई में 259.60 रुपए और एनएसई में 259.10 रुपए चल रहा है। उसने 52 हफ्तों का उच्चतम स्तर कल ही 21 अप्रैल को 263.35 रुपए पर हासिल किया है। इसके बावजूद अगर हम इस भाव को उसके ईपीएस से भाग दें तो पी/ई अनुपात आता है चार का। जाहिर है कि यह शेयर शिखर पर पहुंचने के बावजूद काफी सस्ता है। इसे तो खरीदकर भूल जाना चाहिए और पांच-दस साल बाद ही देखना चाहिए कि पैसे की फसल इस खाद की बदौलत कैसे लहलहा रही है। इस बीच लाभांश (डिविडेंड) आपके बैंक खाते में आता रहेगा। पिछले चार सालों से कंपनी लगातार 10 रुपए के शेयर पर 4.50 रुपए लाभांश देती रही है।
यह 45 साल से ज्यादा पुरानी कंपनी है। उद्योग के लिए तमाम रसायन और खेती के लिए लगभग हर तरह की खाद बनाती है। यहां तक कि वह पानी में घुलनेवाले अत्याधुनिक उर्वरक भी बना रही है। कंपनी बायोटेक उत्पाद भी बनाती है और ट्रेडिंग भी करती है। यानी, हर तरफ से चाक-चौबंद मामला है जीएसएफसी का। इसने वित्त वर्ष 2008-09 में 5880.80 करोड़ रुपए की बिक्री पर 499.36 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। अभी दिसंबर 2009 की तिमाही मे उसकी बिक्री 1141.33 करोड़ और शुद्ध लाभ 113.92 करोड़ रुपए रहा है। जाहिर है कंपनी का लाभ मार्जिन बढ़ रहा है। पिछले साल उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 15.68 फीसदी था जो दिसंबर 2009 की तिमाही में 18.90 फीसदी हो गया। कंपनी चौथी तिमाही के नतीजे न प्रकाशित कर 30 मई से पहले सीधे 2009-10 के सालाना नतीजे घोषित करेगी। बिक्री से लेकर लाभ तक में अच्छी बढ़ोतरी का यकीन है।
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