असंतुलन से संतुलन की ओर

असत से सत की ओर, अंधेरे से उजाले की ओर, मृत्यु से अमरत्व की ओर। सब प्रार्थना है। यथार्थ यह है कि हम हर समय असंतुलन से संतुलन की ओर बढते रहते हैं। लेकिन पूर्ण संतुलन तो मृत्यु पर भी नहीं मिलता।

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