ग्रेफाइट इंडिया में है लंबा करंट

ग्रेफाइट इंडिया के शेयर पिछले एक महीने में 88.25 रुपए तक नीचे जाने के बाद 107.20 रुपए तक ऊपर जा चुके हैं। मंगलवार को बीएसई में यह 1.37 फीसदी की बढ़त के साथ 103.60 रुपए पर चल रहा है। खास बात यह है कि 107 रुपए पर भी इस शेयर का पीई अनुपात 6.86 का है, जबकि इसी उद्योग की दूसरी कंपनियां का पीई अनुपात 9.75 से 24.77 तक है। शेयर के मौजूदा भाव और बुक वैल्यू का अनुपात 1.48 का है। जानकारों का कहना है कि इसलिए मौजूदा भाव पर भी इस कंपनी में दूरगामी निवेश किया जा सकता है।

कंपनी की मजबूत स्थिति के कुछ ठोस आधार हैं। यह दुनिया में इलेक्ट्रोड बनानेवाली पांचवीं सबसे बड़ी कंपनी है। भारत के इलेक्ट्रोड बाजार का तकरीबन आधा हिस्सा इसके कब्जे में है। इसकी आय का लगभग 85 फीसदी हिस्सा ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड की बिक्री से आता है। अब यह बड़े व्यास वाले अल्ट्रा-हाई पावर इलेक्ट्रोड पर जोर दे रही है। इस उत्पाद में लाभ मार्जिन अपेक्षाकृत ज्यादा है। इलेक्ट्रोड का मुख्य इस्तेमाल स्टील उद्योग में होता है और जिस तरह स्टील उद्योग का सीन बदल रहा है, उसमें ग्रेफाइट इंडिया को माल खपाने की चिंता हाल-फिलहाल नहीं होनेवाली है।

कंपनी अक्टूबर 2008 में 100 फीसदी क्षमता इस्तेमाल पर उत्पादन कर रही थी। लेकिन इसके बाद यह घटकर 70 फीसदी के आसपास आ गया। अब इसमें फिर बढोतरी होने की खबरें हैं। कंपनी अपने शेयरधारकों को पिछले चार सालों से लगातार लाभांश देती रही है। जुलाई 2009 में उसने 2 रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर 3 रुपए का लाभांश दिया है। इस मायने में कहा जाए तो वह अपना लाभ शेयरधारकों में बांटने में यकीन रखती है। यह कोलकाता की 47 साल पुरानी कंपनी है। के के बांगुर इसके चेयरमैन हैं।

कंपनी ने वित्त वर्ष 2008-09 में 1125.88 करोड़ रुपए की आय पर 193.57 करोड़ रुपए का शुद्ध लाम कमाया था। दिसंबर 2009 की तिमाही में उसकी आय 278.94 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 62.98 करोड़ रुपए रहा है। कंपनी 13 मई को वित्त वर्ष 2009-10 के सालाना नतीजे घोषित करनेवाली है। कंपनी की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 63.56 फीसदी है, जबकि इसमें 6.69 फीसदी हिस्सा एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) और 7.41 फीसदी हिस्सा घरेलू वित्तीय संस्थाओं व म्यूचुअल फंडों का है।

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