वादों की हकीकत को पहचानता है बाजार। इसीलिए भारतीय रेल के कामकाज से जुड़े तमाम स्टॉक कल, रेल बजट में की गई ठीकठाक घोषणाओं के बावजूद लुढकते चले गए। इसका अपवाद था तो इकलौता बीईएमएल जिसका नाम पहले भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड हुआ करता था। वैसे भी, बीईएमएल का वास्ता रेल मंत्रालय से नहीं, रक्षा मंत्रालय से है। वह रेलवे को माल सप्लाई जरूर करती है। लेकिन ज्यादा नहीं। इसलिए बीईएमएल के शेयर अगर मामूली बढ़त लेकर बीएसई (कोड – 500048) 687.25 रुपए और एनएसई (BEML) में 688.75 रुपए पर बंद हुए तो इसमें कोई आश्चर्य करने की बात नहीं है।
बीईएमएल में लंबे समय के लिए निवेश का इस समय अच्छा योग है। हमने पहली बार इसके बारे में 6 सितंबर 2010 को लिखा था। तब इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 1134 रुपए पर चल रहा था। एक विदेशी ब्रोकरेज फर्म ने दो-चार दिनों में इसके 1259 रुपए तक जाने का लक्ष्य रखा था। और, सचमुच यह महीना बीतने से पहले 1238 रुपए पर पहुंच गया। हालांकि उससे बाद लगातार गिरता रहा। 7 अप्रैल 2011 तक गिरकर 771 रुपए पर आ गया जो पिछले 52 हफ्ते का उसका उच्चतम स्तर है, जबकि न्यूनतम स्तर 413 रुपए का है जो उसने 19 अगस्त 2011 को हासिल किया था। इसका शेयर फिलहाल 21.26 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जिसे बहुत सस्ता नहीं माना जा सकता। फिर भी भारत अर्थ मूवर्स चार-पांच साल में आपकी रकम को दोगुना करने की सामर्थ्य रखता है।
बाकी रेल की कृपा पर चल रही ज्यादातर कंपनियों के शेयर कल रेल बजट की घोषणाओं के साथ लुढ़कते रहे। सबसे ज्यादा गिरावट कालिंदी रेल में आई और यह बीएसई (कोड – 522259) में 6.55 फीसदी गिरकर 104.85 रुपए और एनएसई (कोड – KALINDEE) में 7.11 फीसदी गिरकर 104.45 रुपए पर बंद हुआ। इसमें निवेश का योग बनता है क्योंकि शेयर की बुक वैल्यू उसके बाजार भाव से ज्यादा, 106.86 रुपए चल रही है। टेक्समैको रेल का शेयर कल एनएसई (कोड – TEXRAIL) में 5.62 फीसदी गिरकर 67.15 रुपए और बीएसई (कोड – 533326) में 6.11 फीसदी गिरकर 66.85 रुपए पर बंद हुआ। इसमें भी निवेश का योग बनता है क्योंकि इसका शेयर फिलहाल 11.31 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है।
रेलवे से जुड़ी एक अन्य प्रमुख कंपनी है टीटागढ़ वैगन्स। रेलवे से कम ऑर्डर मिलने के चलते दिसंबर 2011 की तिमाही में इसकी बिक्री 1.46 फीसदी और शुद्ध लाभ 2.02 फीसदी घट गया है। इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई (कोड – 532966) में 4.25 फीसदी गिरकर 411.60 रुपए और एनएसई (कोड – TWL) में 4.13 फीसदी गिरकर 412.50 रुपए पर बंद हुआ है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 48.37 रुपए है और उसका शेयर फिलहाल 8.51 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इसमें भी निवेश का योग बनता है। लेकिन तीनों ही कंपनियों में निवेश थोड़ा रुककर किया जाना चाहिए। अभी ममता बनर्जी के पागलपन के चलते रेल महकमे की जो हालत बनी है, उसमें माहौल बिगड़ा हुआ है तो इनके और गिरने का इंतजार कर लेना मुनासिब रहेगा।
कल रेल बजट के दिन इनके गिरने की प्रमुख वजह यह है कि बाजार को रेल मंत्रियों की घोषणाओं पर यकीन नहीं है। बजट में वादे किए जाते हैं, योजनाएं बनाई जाती हैं। लेकिन उन पर अमल नहीं होता तो टीटागढ़ वैगन्स और टेक्समैको रेल जैसी कंपनियों पर सीधा असर पड़ता है। दूसरी बात यह है कि भारतीय रेल की माली हालत बिगड़ती जा रही है। कल रेल बजट में बताया गया है कि उसका परिचालन अनुपात 91.1 फीसदी से बढ़कर 95 फीसदी हो गया है। दूसरे शब्दों में भारतीय रेल 95 रुपए खर्च कर 100 रुपए कमा रही है।
इससे रेल की खरीद क्षमता कम होती है। हाल की मालभाड़ा वृद्धि और कल के किराए बढ़ाने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। अतिरिक्त लाइनें बिछाने, आमान परिवर्तन और लाइनों के दोहरीकरण जैसे कामों में धीमापन आया है। नए वित्त वर्ष के लिए आयोजना व्यय 60,100 करोड़ रुपए रखा है। यह बीते वित्त वर्ष के बजट अनुमान 57,630 करोड़ रुपए से मात्र 4.3 फीसदी ज्यादा है, जबकि पिछले साल वार्षिक योजना में 39.1 फीसदी इजाफा किया गया था। कम वृद्धि कम ऑर्डरों में बदलेगी तो रेल पर निर्भर कंपनियों का धंधा कम बढ़ेगा।
यह सच है कि नए वित्त वर्ष के दौरान रोलिंग स्टॉक (डिब्बे, इंजिन व कोच जैसे चलनेवाले माल) पर बजट आवंटन करीब 31 फीसदी बढ़ाकर 18,193 करोड़ रुपए कर दिया है। लेकिन जब खुद रेल की कमाई नहीं हो पाएगी तो वह खर्च कहां से करेगी? वैसे भी ममता की राजनीति ने ऐसा फच्चर फंसाया है कि अगले कुछ दिनों में यूपीए सरकार में उनके आर या पार होने की हालत बन गई है। सरकार मुलायम का साथ पकड़कर ममता को किनारे कर सकती है। लेकिन इस दौरान राजनीतिक धूल-धक्कड़ तो होगा ही।