चुनावों में कुछ उछलते, कुछ डूबते क्यों!

अपने यहां चुनाव धन लुटाने का महोत्सव होता है। मतदाताओं से लेकर कार्यकर्ताओं को लुभाने, बहकाने और खींचने के लिए धन पानी की तरह बहाया जाता है। यही वजह है कि चुनावों के बाद उपभोक्ता साजोसामान से लेकर टू-व्हीलर जैसी कंपनियों की भी बिक्री बढ़ जाती है। सत्ताधारी पार्टी की यह भी कोशिश रहती है कि इस दौरान महंगाई न बढ़े। शायद यही वजह है कि इस साल अप्रैल के बाद अब तक पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाए गए। भले ही इसके चलते ऑयल मार्केटिंग कंपनियों इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम को पहली छमाही में ही 21,228 करोड़ रुपए का घाटा लग गया। इसी का असर है कि इन तीनों के शेयर इस वक्त 52 हफ्तों की तलहटी के आसपास हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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