ईसाब इंडिया ने अपना कामकाज 1987 से शुरू किया। लेकिन इसकी कहानी 1904 में स्वीडन के शहर गोथेनबर्ग से तब शुरू हुई थी जब जहाजों व बॉयलरों पर काम कर रहे एक इंजीनियर ऑस्कर केलबर्ग ने पाया कि वहां रिपेयर के काम की क्वालिटी अच्छी नहीं है। बेहतर टेक्नोलॉजी की तलाश में केलबर्ग ने दुनिया के पहले कवर्ड इलेक्ट्रोड का आविष्कार कर डाला। वहीं से पैदा हुआ ईसाब (Elektriska Svetsnings Aktie Bolaget या ESAB) समूह जो इस समय दुनिया में वेल्डिंग व कटिंग उत्पादों का अग्रणी नाम है। उसके अपने आर एंड डी (शोध व अनुसंधान) सेंटर स्वीडन के अलावा, अमेरिका, भारत व ब्राजील में खोल रखे हैं।
ईसाब इंडिया में स्वीडन के इस ईसाब समूह की इक्विटी हिस्सेदारी 55.56 फीसदी है। बाकी 11.35 फीसदी एफआईआई और 9.60 फीसदी डीआईआई के पास है। कंपनी ने 1987 में शुरुआत पीको इलेक्ट्रॉनिक एंड इलेक्ट्रिकल्स (अब फिलिप्स इंडिया) के वेल्डिंग बिजनेस के अधिग्रहण से की थी। उसके बाद 1991 में उसने इंडियन ऑक्सीजन और 1992 में फ्लोटेक वेल्डिंग एंड कटिंग सिस्टम्स का वेल्डिंग बिजनेस खरीद लिया। फिर 1994 में उसने महाराष्ट्र वेल्डएड्स को अपने में विलीन कर लिया।
कंपनी दुरुस्त है। वह शिप बिल्डिंग, पेट्रोकेमिकल, कंस्ट्रक्शन, ट्रांसपोर्ट व बिजली जैसे क्षेत्रों को अपने उत्पाद बेचती है। मेडिकल गैस उपकरण भी वह बनाती है। देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के बढ़ने की व्यापक जरूरत व संभावनाओं ने कंपनी के विकास की राह बना रखी है। पिछली पांच तिमाहियों में उसकी बिक्री औसतन 9 फीसदी और परिचालन लाभ 8 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा है। सितंबर 2010 की तिमाही में उसकी बिक्री 18 फीसदी बढ़ी है, हालांकि परिचालन लाभ 16 फीसदी घटा है।
लेकिन कुल मिलाकर देखें तो कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर शुद्ध लाभ) 40.12 रुपए है। शेयर (बीएसई – 500133, एनएसई – ESABINDIA) अभी 480.30 रुपए पर है। इस तरह वह फिलहाल 11.97 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू 139.19 रुपए है। यह लगातार लाभांश देनेवाली कंपनी है। अभी 27 जनवरी 2011 को ही उसने 10 रुपए अंकित मूल्य के शेयर पर 10 रुपए यानी 100 फीसदी का अंतरिम लाभांश दिया है।
इसके साथ दिक्कत बस इतनी है कि इसका कोई पुछत्तर नहीं है यानी इसमें वोल्यूम नहीं होता। जैसे, कल बीएसई में इसके मात्र 60 शेयरों का कारोबार हुआ जो जाहिर है सारे के सारे डिलीवरी के लिए ही थे। एनएसई में इसके 164 शेयरों के सौदे हुए जिसमें से 145 यानी 88.41 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। बहुत साफ-सी बात है कि इस प्रोफेशनली मैनेज्ड बहुराष्ट्रीय कंपनी के शेयरों में ऑपरेटरों के खेल की उम्मीद नहीं की जा सकती है। बड़ी शांति से काम और विकास कर रही है यह कंपनी। जिनमें पूरा धैर्य है और जो लंबे समय (कम से कम 4-5 साल) की सोच रखते हों, वे इसमें निवेश कर सकते हैं। हां, यहां निवेश के बाद मेटल के भावों पर भी नजर रखनी होगी क्योंकि इससे कंपनी का लागत घट-बढ़ होती है।
यह शेयर बीते साल 4 अक्टूबर 2010 को 690 रुपए का शिखर छू चुका है, जबकि अभी पिछले हफ्ते 10 फरवरी 2011 को ही 457 रुपए की तलहटी पकड़ी है। यह अभी अपने न्यूनतम स्तर के काफी करीब है और बढ़ने की गुंजाइश काफी है। वैसे चाहें तो दो हफ्ते इंतजार कर सकते हैं क्योंकि तब तक कंपनी वित्त वर्ष 2010 के ऑडिटेड नतीजे भी घोषित कर देगी। असल में कंपनी का वित्त वर्ष कैलेंडर वर्ष के हिसाब से चलता है, जनवरी से दिसंबर तक। उसे दिसंबर 2010 की तिमाही के नतीजे 14 फरवरी से (तिमाही खत्म होने के 45 दिन के भीतर) घोषित करने थे। लेकिन कंपनी अब सीधे इस तिमाही के साथ-साथ पूरे वित्त वर्ष के नतीजे 1 मार्च से पहले घोषित कर देगी।