ट्रेडरों का विश्वास नहीं जमा फिर से

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज बुधवार को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संपादकों के साथ हुई प्रेसवार्ता में हाल में उठी हर चिंता और मुद्दों पर बेबाक राय दी है। उनकी बातों से संकेत मिलता है कि आनेवाला बजट कठोर होगा, पर लोक-लुभावन उपायों के साथ। बजट कठोर होगा प्रशासन की कमियों, कालेधन और मुद्रास्फीति जैसी समस्याओं पर, जबकि वह नरम होगा टैक्स के मोर्चे पर ताकि आम आदमी के पास मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए ज्यादा आमदनी बच सके। लेकिन असल में इससे अंततः मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ जाएगा।

भारत में विदेशी पूंजी का आगम बढ़ाने का तरीका यह हो सकता है कि रुपए को पूरी तरह परिवर्तनीय बना दिया जाए, लालफीताशाही को खत्म करने के ठोस कदम उठाए जाएं, राजनेताओं पर संपत्ति घोषित करने की अनिवार्यता लागू की जाए और कर संग्रह बढ़ाने व राजस्व प्राप्ति का दायरा बढ़ाने की कोशिश की जाए। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के लिए ज्यादा रकम मिल सकेगी। साथ ही इन कदमों से शेयर बाजार को भी नया आवेग मिलेगा।

बजट में लोक-लुभावन उपाय किए जाएंगे, इस बात का पूरा अहसास बाजार को है क्योंकि रिश्वतखोरी व घोटालों ने जिस तरह सरकार के दामन को दागदार किया है, उसे काटने के लिए राजनीतिक कसरत की जानी अपरिहार्य है। लेकिन मुझे लगता है कि तमाम ऐसी चीजें हैं जो आगे बाजार का पूरा नजरिया ही बदल सकती हैं। मसलन, बजट 2010 में बाजार के लिए कुछ भी नहीं था। राजकोषीय घाटे का अनुमान बढ़ाकर 6.8 फीसदी के खतरनाक हद तक ले जाया गया था। इन सारी चीजों के असर से बजट के बाद बाजार गिर भी गया, लेकिन फौरन सुधर कर नई ऊंचाई पर जा पहुंचा। पिछले बजट का एकमात्र चमकीला पहलू था सरकार की कम बाजार उधारी। इस बार हो सकता है कि राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.7 फीसदी पर रखना बाजार के लिए तेजी का पटाखा बन जाए।

हालांकि बाजार धीरे-धीरे करके बढ़ रहा है। लेकिन यह ट्रेडरों के अंदर अभी तक कोई विश्वास नहीं पैदा कर सका है। ऐसी सूरत में वे तो टेक्निकल एनालिसिस को सही मानेंगे और निफ्टी में 5560 से 5620 के दायरे में शॉर्ट सौदे करेंगे और 5700 अंक तक ऐसा करते रहेंगे जो बजट के लिए आधार बिंदु बन सकता है। फिलहाल तो रोलओवर का दौर शुरू हो चुका है जो अभी पांच दिन और चलेगा। इसलिए इस दौरान बाजार की सांस ऊपर-नीचे होती रहेगी, उतार-चढ़ाव चलता रहेगा।

अगर हम शुरुआत में ही तमाम संदेहों का समाधान कर लेते हैं तो हमारे उद्यम की सफलता बहुत हद तक सुनिश्चित हो जाती है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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