दोपहर साढ़े बारह बजे तक सब ठीक था। बाजार सपाट। न ऊपर, न ज्यादा नीचे। निफ्टी 5336.15 पर था, जबकि निफ्टी फ्यूचर्स 5353.55 के शिखर पर। फिर अचानक जाने क्या हुआ कि 2 बजकर 26 मिनट पर निफ्टी में वोल्यूम एकदम गिरकर गया और निफ्टी फ्यूचर्स सीधे 5000 की खाईं में जा गिरा। स्पॉट बाजार पर भी इसका सीधा असर पड़ा। आखिर ऐसा क्यों और कैसे हुआ? छानबीन जारी है।
तमाम डीलरों का कहना है कि ऐसा गलती से हुआ। इनफोसिस फ्यूचर्स और निफ्टी फ्यूचर्स को एक साथ बेचने की कोशिश की गई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारियों का कहना है कि वे इस मामले की तहकीकात कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने इस बात की पुष्टि नहीं की कि निफ्टी फ्यूचर्स में एकबारगी आई इतनी तल्ख गिरावट की वजह ट्रेडिंग की गलती है।
निफ्टी के फ्यूचर्स का इस तरह दोपहर बाद 6.7 फीसदी गिरना किसी सदमे से कम नहीं है। सभी अवाक हैं। ऐसे में समझदारी और विश्लेषण की क्या बातें की जाएं! कुल मिलाकर कारोबार के अंत पर निफ्टी फ्यूचर्स का भाव 5304.80 रहा है जो कल के आखिरी भाव 5356.20 से 0.96 फीसदी कम है। स्पॉट में निफ्टी कल, गुरुवार से 0.78 फीसदी गिरकर 5290.85 पर बंद हुआ है। वहीं सेंसेक्स 0.74 फीसदी घटकर 17,373.84 पर बंद हुआ।
ट्रेडरों को लगता है कि पूरा मामला एनएसई में निफ्टी फ्यूचर्स और इनफोसिस फ्यूचर्स को एक साथ बेचने का नतीजा है। इन लोगों के मुताबिक बहुत संभव है कि डीलर ट्रेड का ऑर्डर डालते वक्त बेचने का मूल्य डालना भूल गया। इस वजह से दोनों सौदों के फ्यूचर्स उस वक्त मौजूद सबसे कम उपलब्ध भाव पर बेच दिए गए। असलियत पूरी जांच के बाद ही सामने आएगी। फिलहाल बेचनेवाले डीलर का पता नहीं चल पाया है और न ही इनफोसिस की तरफ से कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण आया है। इनफोसिस एनएसई में मामूली बढ़त के साथ 2407.40 रुपए और बीएसई में 2406.25 पर बंद हुआ है, वहीं उसके अप्रैल फ्यूचर्स का आखिरी भाव 2411.90 रुपए रहा है। रिलायंस ने नतीजों को लेकर बाजार में मायूसी छाई रही।
औद्योगिक दुनिया में और भी रहस्यमय चीजें हो रही हैं। सब कहते हैं, बैंक से लेकर निवेशक तक कि कमर्शियल रीयल एस्टेट में बड़ा जोखिम है क्योंकि प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं। जो बने हैं, वे बिक नहीं पा रहे हैं। लेकिन रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2012 में बैंकों ने कमर्शियल रीयल एस्टेट को दिया गया ऋण साल भर पहले की तुलना में 9 फीसदी बढ़ा दिया है। बैंकों ने इस बार 1200 करोड़ रुपए का ऋण दिया है, जबकि फरवरी 2011 में यह 1100 करोड़ रुपए था। ऐसा तब, जब इन ऋणों पर रिजर्व बैंक ने प्रावधान के मानक कड़े कर दिए हैं।
वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कल वॉशिंगटन में बयान दिया कि 2014 में अगले आम चुनावों तक आर्थिक सुधारों की गति धीमा रहेगी। उनको काटते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह अहलूवालिया ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा नहीं है और नीतिगत फैसले पूरी तेजी से हो रहे हैं। जो बाधा है, वो गठबंधन के दूसरे सदस्यों की तरफ से है जिसे दूर कर लिया जाएगा।
केंद्र सरकार के कृषि मंत्री शरद पवार गुजरात में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक ही मंच से अपनी ही सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं। इसलिए गड़बड़ी एनएसई के सिस्टम में ही नहीं, इस पूरी सरकार के तंत्र में कहीं गहरे पैठ गई है। उधर, अण्णा हज़ारे और बाबा रामदेव एक साथ सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं। लेकिन इस बाबत आयोजित साझा प्रेस कांफ्रेंस से अरविंद केजरीवाल समेत टीम अण्णा के दूसरे सदस्य गायब रहे। हर तरफ विभ्रम। हर तरफ अस्पष्टता। स्पष्ट यही है कि अब सप्तांह है तो सब चीजों को किनारे रखकर मस्त रहिए। अगले हफ्ते मंगलवार को अक्षय तृतीया है। उसके आगे-पीछे सब कुछ मंगलमय हो। इसी कामना के साथ…
विभ्रम का बढ़ जाना यही दिखाता है कि सतह के नीचे कुछ दरक रहा है। पुराने के भीतर से जन्म लेते नए की बेचैनी बढ़ गई है। और, अब नया संतुलन बनने जा रहा है।