देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय हित यकीनन सर्वोपरि है। लेकिन लोकतंत्र में जनता ही संप्रभु है और उसका हित ही राष्ट्रीय हित है। राष्ट्रीय चेतना को झकझोर देनेवाले इस दौर मे समझना ज़रूरी है कि मोदी सरकार राष्ट्रीय हित का नाम लेकर किसका हित साध रही है। सब जानते हैं कि अपने परम मित्र अडाणी को अमेरिका में रिश्वतखोरी के मामले में जेल जाने से बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ खुलकर नहीं बोल रहे। दूसरी बात, रूस के जिस कच्चे तेल के आयात पर ट्रम्प ने गदर काट रखी है, उस तेल से भी भारतीय अवाम ने नहीं, बल्कि मोदी के अन्य मित्र मुकेश अम्बानी ने सबसे ज्यादा माल काटा है। पिछले दो साल ने भारत ने वैश्विक कीमतों से 25% से 50% डिस्काउंट पर रूस से कच्चा तेल आयात किया। पर पेट्रोल के दाम ₹95 और डीजल के दाम ₹88 प्रति लीटर के आसपास ठहरे हैं। दूसरी तरफ, रिलायंस ने रूस से सबसे ज्यादा सस्ता कच्चा तेल आयात किया। इससे उसका रिफाइनिंग मार्जिन बढ़कर 12.5 डॉलर और एस्सार ऑयल से नयारा एनर्जी बनी कंपनी की वाडिनार (गुजरात) रिफाइनरी का मार्जिन 15.2 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा। इन्होंने रूस से आया लाखों टन बैरल कच्चा तेल रिफाइन किया है। रिलायंस को इससे करीब ₹6850 करोड़ और नयारा एनर्जी को ₹1150 करोड़ का ऊपरी लाभ हुआ। अब मंगलवार की दृष्टि…
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