फकीर बोला, “मुझमें, तुझमें कोई फर्क नहीं। बस, समय और फासले का फेर है। मैं सच तक पहुंच चुका हूं, जबकि तू अभी रास्ते में हैं। तू भी यहां पहुंचकर वही बोलेगा। फिर बहस क्यों? जिरह का क्या तुक!”
2012-03-18
फकीर बोला, “मुझमें, तुझमें कोई फर्क नहीं। बस, समय और फासले का फेर है। मैं सच तक पहुंच चुका हूं, जबकि तू अभी रास्ते में हैं। तू भी यहां पहुंचकर वही बोलेगा। फिर बहस क्यों? जिरह का क्या तुक!”
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